Wednesday, April 22, 2020

राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय





           *एक अरदास*
             

 *जिन्दगी बख्शी है,  तो जीने का सलीका भी बख्श।*

   
 *ज़ुबान बख्शी है मेरे मालिक* ,
 *तो सच्चे अल्फ़ाज़ भी बख्श।*

 *सभी के अन्दर तेरी ज्योत दिखे*,
*ऐसी तू मुझे नज़र भी बख्श।*


*किसी का दिल न दुखे मेरी वजह से,*
 *ऐसा अहसास भी तू मुझे बख्श।*
 

*आपके चरणकमल में मैं लगा रहूँ,  हे दाता ऐसा ध्यान भी बख्श।*


*रिश्ते जो बनाये मेरे मालिक,* 
  *उनमें अटूट प्यार तू भर।*


*ज़िम्मेदारियाँ बख्शी हैं मेरे पालनहार,* 
*तो उनको निभाने की समझ भी बख्श।*


 *बुद्धि बख्शी है मेरे मालिक,*
 *तो विवेक बख्श।*


*एक और अहसान कर दे* ,
 *जो कुछ है, वो सब तेरा है* ,
*तो फिर इस मेरी  "मैं"  को भी बख्श।*


हम_जीतेंगे

🌻*किसी स्थान पर संतों की एक सभा चल रही थी, किसी ने एक घड़े में गंगाजल भरकर वहां रखवा दिया ताकि संतजन को जब प्यास लगे तो गंगाजल पी सकें।*

🌻 *संतों की उस सभा के बाहर एक व्यक्ति खड़ा था, उसने गंगाजल से भरे घड़े को देखा तो उसे तरह-तरह के विचार आने लगे।* वह सोचने लगा:- "अहा, यह घड़ा कितना भाग्यशाली है, *एक तो इसमें किसी तालाब पोखर का नहीं बल्कि गंगाजल भरा गया और दूसरे यह अब सन्तों के काम आयेगा।* संतों का स्पर्श मिलेगा, उनकी सेवा का अवसर मिलेगा, ऐसी किस्मत किसी-किसी की ही होती है।

🌻 *घड़े ने उसके मन के भाव पढ़ लिए और घड़ा बोल पड़ा:- बंधु मैं तो मिट्टी के रूप में शून्य पड़ा था, किसी काम का नहीं था,* कभी नहीं लगता था कि भगवान् ने हमारे साथ न्याय किया है। *फिर एक दिन एक कुम्हार आया, उसने फावड़ा मार-मारकर हमको खोदा और गधे पर लादकर अपने घर ले गया।*

🌻 *वहां ले जाकर हमको उसने रौंदा, फिर पानी डालकर गूंथा, चाक पर चढ़ाकर तेजी से घुमाया, फिर गला काटा, फिर थापी मार-मारकर बराबर किया।* बात यहीं नहीं रूकी, उसके बाद आंवे के अंदर आग में झोंक दिया जलने को। *इतने कष्ट सहकर बाहर निकला तो गधे पर लादकर उसने मुझे बाजार में भेज दिया,* वहां भी लोग ठोक-ठोककर देख रहे थे कि ठीक है कि नहीं?

🌻 *ठोकने-पीटने के बाद मेरी कीमत लगायी भी तो क्या*- बस 20 से 30 रुपये, मैं तो पल-पल यही सोचता रहा कि:- *"हे ईश्वर सारे अन्याय मेरे ही साथ करना था, रोज एक नया कष्ट एक नई पीड़ा देते हो, मेरे साथ बस अन्याय ही अन्याय होना लिखा है।"* भगवान ने कृपा करने की भी योजना बनाई है यह बात थोड़े ही मालूम पड़ती थी।

🌻 किसी सज्जन ने मुझे खरीद लिया और जब मुझमें गंगाजल भरकर सन्तों की सभा में भेज दिया तब मुझे आभास हुआ कि कुम्हार का वह फावड़ा चलाना भी भगवान् की कृपा थी। उसका वह गूंथना भी भगवान् की कृपा थी, आग में जलाना भी भगवान् की कृपा थी और बाजार में लोगों के द्वारा ठोके जाना भी भगवान् की कृपा ही थी।



🌻 *अब मालूम पड़ा कि सब भगवान् की कृपा ही कृपा थी।*

🌻 *परिस्थितियां हमें तोड़ देती हैं, विचलित कर देती हैं- इतनी विचलित की भगवान के अस्तित्व पर भी प्रश्न उठाने लगते हैं। क्यों हम सबमें इतनी शक्ति नहीं होती ईश्वर की लीला समझने की, भविष्य में क्या होने वाला है उसे देखने की?* इसी नादानी में हम ईश्वर द्वारा कृपा करने से पूर्व की जा रही तैयारी को समझ नहीं पाते। *बस कोसना शुरू कर देते हैं कि सारे पूजा-पाठ, सारे जतन कर रहे हैं फिर भी ईश्वर हैं कि प्रसन्न होने और अपनी कृपा बरसाने का नाम ही नहीं ले रहे।* पर हृदय से और शांत मन से सोचने का प्रयास कीजिए, क्या सचमुच ऐसा है या फिर हम ईश्वर के विधान को समझ ही नहीं पा रहे?

🌻 *दोस्तों,घड़े की तरह परीक्षा की अवधि में जो सत्यपथ पर टिका रहता है वह अपना जीवन सफल कर लेता है। दोस्तों.. .विश्वास करें.. महामारी और इसे फैलाने में मदद करने वाले कुछ जाहिलों की वजह से समस्या बढ़ जरूर गई है, पर आखिरी जीत हमारे भारत की जरूर होगी।*🙏🙏


:3️⃣0️⃣ 🅿️Ⓜ️


 एक चुनिंदा पाठ जब तक लॉक डाउन है तब तक ज़रूर   एक साथ मालिक के चरणों में प्रार्थना🙏के रूप में करने की आदत बनाएं*

*आज का पाठ*
2️⃣1️⃣/4️⃣/2️⃣0️⃣

*ऐ सतगुर पिता और मालिक मेरे*
*मैं चरणों पे कुर्बान हर दम तेरे*



*राधास्वामी🙏*
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी।।।।।।।।।।।।।। 

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