Sunday, June 28, 2020

सनातन कथा







🙏🌷श्री गुरुप्रेमानंदे निताईगौर हरीबोल🌷🙏

सनातन धर्म कथा 
आषाढ़मास शुक्लपक्ष की ' हरिशयनी ' एकादशीका माहात्म्य
सभी वैष्णव जनों का *श्री शयनी एकादशी व्रत 1 जूलाई 2020,  बुधवार* को रहेगा।*व्रत का पारण*
अगले दिन 2 जूलाई 2020, बृहस्पतिवार *प्रात: 05:30🕟से 09:30 🕘बजे तक*  रहेगा।
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   शांताकारं      भुजगशयनं     पद्मनाभं       सुरेशम्  |
   विश्वाधारं    गगनसदृशं      मेघवर्णं        शुभाङ्गम्  ||
   लक्ष्मीकान्तं      कमलनयनं     योगिभिर्ध्यानगम्यम्  |
   वन्दे विष्णुं       भवभयहरं         सर्वलोकैकनाथम्  ||
भावार्थ👉🔻
शान्ताकारं जिनकास्वरुप अतिशयशांत है जो धीर-क्षीर है,
भुजगशयनं 🔸 जो शेषनाग पर स्थित है
पद्मनाभं     🔸 जिनकी नाभि में कमल है सुरेशं - जो देवताओ के ईश्वर है
विश्वाधारं   🔸 जो पुरे ब्रह्मांड के आधार है
गगनसदृशं 🔸जो सर्वत्र व्याप्त है
मेघवर्ण     🔸जो जो नीलमेघ के समान है
शुभाङ्गम्   🔸जिनके अङ्ग शुभ है , मनमोहक है
लक्ष्मीकान्तं🔸 जो लक्ष्मीजी के स्वामी है
कमलनयनं🔸जिनके नेत्र कमल के समान है
योगिभिर्ध्यानगम्यम्🔸जो योगियों के चिंतन स्वरुप है ,योगी जिनका चिंतन करते है
वन्देविष्णुं -🔸भगवान् श्रीविष्णु को प्रणाम करता हूँ,
भवभयहरं 🔸 जो सभी भयो को हारते है
सर्वलोकैकनाथम् -🔸सभी लोको के नाथ , पुरे ब्रह्माण्ड के ईश्वर है उन्हें में प्रणाम करता हूँ ||
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विशेष:-👉भगवान विष्णु के शयनकाल के 4चारमास (1.श्रावणमास 2.भादोंमास 3.क्वारमास 4.कार्तिकमास)
में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं,
 इसी लिए "देवोत्थान एकादशी" पर भगवान श्रीहरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं।  "देवोत्थान एकादशी" के दिन मातातुलसी जी का विवाह "श्रीशालिग्राम ठाकुर जी" के साथ विधि विधान से आयोजित भी किया जाता है, जो भक्तजन श्रीतुलसी श्रीशालिग्राम का विवाह का विधि-विधान से करते है,उन्हें कन्या दान करने का फल प्राप्त होता है, इसी दिन से सारे शुभारंभ कार्यों की सुरुवात हो जाती है ,
🔻विशेष:-👇
🌷🌷यदि अपना आत्मकल्याण चाहते हो तो🌷🌷
1.हरिनाम जप निष्ठा 2.श्री तुलसी निष्ठा 3.एकादशी निष्ठा ये तीन निष्ठाएं पूरी श्रद्धा,भाव से,द्रढ़ता पूर्वक अविचल विश्वास से करनी चाहिये।
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विशेष:-👉एकादशी की प्रत्येक तिथि को रात्री जागरण भजन कीर्तन करना चाहिये यदि सब एकादशी रात्रियों को जागरण सम्भव नहीं हो पा रहा है, तो कम से कम
आषाढ़ शुक्ल पक्ष की हरिशयनी (देवशयन) एकादशी   और कार्तिक शुक्ल पक्ष देवत्थानी (प्रबोधिनी) एकादशी इन दो तिथियों को रात्रि जागरण करना चाहिए ,
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विशेष:-👉 संसार में यदि कोई सबसे बड़ा पाप,भयंकर,अमावस्या के दिन स्त्रीप्रसंग , समागम (सम्भोग) करना होता हैं,
ठीक वैसा ही भयंकर अपराध एकादशी को भोजन करने पर प्राप्त होता है,
एकादशी तिथि पर हो सके तो धरती पर सोना चाहिये,
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विशेष:-👉 सम्पूर्ण पापों को करने के बाद भी प्राक्षित करने का उपाय तो है, परन्तु एकादशी व्रत नहीं करने का कोई प्राक्षित या उपाय नहीं है
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 विशेष:-👉एकादशी को चावल व साबूदाना खाना व चाय पीना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम फली) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
एकादशी के दिन अन्न खाना तथा अन्न दान करना, दोनों ही वर्जित है, जो वैष्णभक्त एकादशी व्रत पूर्ण निष्ठाभाव से करते है,वे इन नियमों का पालन करते है
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विशेष:-👉एकादशी व्रत पत्येक सनातनी को करनी चाहिए, हो सके तो निर्जल व्रत करें, निर्जल व्रत न हो सके तो जल पी कर एकादशी व्रत करो, यदि जल से भी न व्रत हो सके तो एक गिलास दूध भारतीय गाय का या दही, छाछ  पी  एकादशी व्रत करो, यदि इतना भी सम्भव ना हो पाए, तो फल खा कर एकादशी व्रत करो,
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विशेष:-👉 परन्तु एकादशी व्रत के नाम पर इंद्रिय तृप्ति के लिये, नमक के नाम पर सेन्दा नमक, लालमिर्च का बना भोजन राजगरे का हलवा, सिंघाड़े का हलवा, कूटू के आटे की पूड़ी, और मखाने की खीर, आदि मलाई पुआ, चुस्की लगाने के लिये (चाय-टी) ये सब खाने पीने से , जो अन्न खाने का पाप है, उस से तो बच जायोगे,
परन्तु जो एकादशी व्रत का फललाभ है, उससे वंचित रह जाओगे,

श्रीकबीर दास जी कहते हैं, साक्षात श्रीप्रह्लादजी अवतार है, उनका दोहा है,👇

हिन्दू   व्रत   एकादशी   राखें   दूध   सिंघाङा   सेती ।
अन्न को त्यागें पर मन नहीं हट कैं पारण करें सगोती।।
भावार्थ:-
हमने 1 एक दिन अनाज(अन्ना)को त्यागा है, तो एक दिन काम, क्रोध, लोभ, मोह , अहंकार को भी त्याग कर निश्छल भाव से पूर्ण समर्पण हो कर भगवान का भजन, भक्ती करें,
खाना तो रोज खाते है, एक दिन अपने मन पर संयम रखें,उस दिन किसी की बुराई, चुगली, गलत विचोरों का त्याग कर श्री कृष्ण नाम कीर्तन मे लगायें ।
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विशेष:-👉 समस्त वैष्णवभक्तों प्रत्येक, एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें, पाठ, करने से घर में सुख शांति बनी रहती है,

      राम   रामेति   रामेति , रमे   रामे   मनोरमे ।।
     सहस्त्र   नाम  त  तुल्यं , राम  नाम  वरानने ।।
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🕉️🌻🌹पद्मपुराण के अनुसार  कथा आरम्भ:-👇🕉️

युधिष्ठिरने पूछा - भगवन् ! आषाढ़के शुक्लपक्षमें कौन - सी एकादशी होती है ? उसका नाम और विधि क्या है ? यह बतलानेकी कृपा करें ।

 भगवान् श्रीकृष्ण बोले - राजन् ! आषाढ़ शुक्लपक्षकी एकादशीका नाम ' शयनी ' है । मैं उसका वर्णन करता हूँ वह महान् पुण्यमयी , स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाली , सब पापों को हरने वाली तथा उत्तम व्रत है । आषाढ़ शुक्लपक्ष में शयनी एकादशी के दिन जिन्होंने कमल - पुष्प से कमल लोचन भगवान् विष्णु का पूजन तथा एकादशी का उत्तम व्रत किया है , उन्होंने तीनों लोकों और तीनों सनातन देवताओं का पूजन कर लिया ।
हरिशयनी एकादशी के दिन मेरा एक स्वरूप राजा बलि के यहाँ रहता है और दूसरा क्षीरसागर में शेषनाग की शय्यापर तब तक शयन करता है , जबतक आगामी कार्तिक की एकादशी नहीं आ जाती ; अतः आषाढ़शुक्ला एकादशी से लेकर कार्तिक शुक्लापक्ष की एकादशी तक मनुष्य को भली - भाँति धर्म का आचरण करना चाहिये । जो इस व्रत का अनुष्ठान करता है , वह परम गति को प्राप्त होता है , इस कारण यत्नपूर्वक इस एकादशी का व्रत करना चाहिये । एकादशी की रात में जागरण कर के शंख , चक्र और गदा धारण करने वाले भगवान् विष्णु की भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिये । मनुष्य ऐसा करने वाले पुरुष के पुण्य की गणना करने में चतुर्मुख ब्रह्माजी भी असमर्थ हैं ।
 राजन् ! जो इस प्रकार भोग और मोक्ष प्रदान करने वाले सर्व पाप हारी एकादशी के उत्तम व्रत का पालन करता है , वह जाति का चाण्डाल होने पर भी संसार में सदा मेरा प्रिय करने वाला है । जो मनुष्य दीपदान , पलाश के पत्ते पर भोजन और व्रत करते हुए चौमासा व्यतीत करते हैं , वे मेरे प्रिय हैं । चौमासे में भगवान् विष्णु सोये रहते हैं । इसलिये मनुष्य को भूमिपर शयन करना चाहिये । सावन महीने में साग , भादों के महीने में दही , क्वार के महीने में दूध और कार्तिक के महीने में दाल का त्याग कर देना चाहिये ।
* अथवा जो चौमासे में ब्रह्मचर्य का पालन करता है *
 वह परम गति को प्राप्त होता है । राजन् ! एकादशी के व्रत से ही मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है ; अतः सदा इसका व्रत करना चाहिये । कभी भूलना नहीं चाहिये ।

श्रावणे    वर्जयेच्छाकं   दधि  भाद्रपदे  तथा  । दुग्धमाश्वयुजि त्याज्यं कार्तिके द्विदलं त्यजेत् ॥

शयनी ' और ' बोधिनी ' के बीच में जो कृष्णपक्ष की एकादशियाँ होती हैं ,घर-गृहस्थआश्रम के लिये वे ही व्रत रखने योग्य हैं - अन्य मासों की कृष्णपक्षीय एकादशी गृहस्थ के रखने योग्य नहीं होती । हर एक महीने की शुक्लपक्ष की सभी एकादशी घर-गृहस्थ वाले मनुष्यों को करनी चाहिये ।

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 भक्तियोग,श्रीकृष्णभावनाभावित व्यक्ति पहले ही समस्त योगियों में श्रेष्ठ होता है, हरक्षण में कृष्ण हर कण में कृष्ण
  🌷हरीबोल हरीबोल🌷🕉️🌷हरीबोल हरीबोल🌷

🌷भज, निताई गौर राधेश्याम जपो हरे कृष्ण हरे राम🌷

          हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे  हरे ।
          हरे  राम  हरे   राम   राम  राम  हरे   हरे॥

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