Saturday, June 20, 2020

20/06 शाम के सतसंग में पढ़ा गया वचन





राधास्वामी!!   

                                    

   20- 06 -2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-

                       

   (26 ) मान लो कि यदि मनुष्य सचमुच यह क्रिया कर सकता है तो उससे पूछा जाए कि क्या वह अपनी प्रार्थना यह दुआ अपने भगवंत को संबोधन करके पढता है या केवल पढे हुए पाठ की तरह उसको दोहराता है तो संभव यही है कि वह उत्तर देगा कि अपने भगवंत को संबोधन करके प्रार्थना पेश करता हूँ।

 पर विचार का स्थान है कि लोगों की संसार के किसी बड़े हाकिम ,राजा, महाराजा, गवर्नर या वाइसराय के सम्मुख होने पर तो जबानन लडखडाने लगती है और लौकिक प्रेम के वशीभूत जन अपने प्रियतम के सम्मुख आने पर आवाक् हो जाते हैं पर ये सूरमा बराबर फर्र फर्र आयतें या मंत्र पढ़ते जाते हैं।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻(यथार्थ प्रकाश भाग पहला परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!)राधास्वामी!!                                           

 20- 06 -2020

- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

कल से आगे-                           

 (26 ) मान लो कि यदि मनुष्य सचमुच यह क्रिया कर सकता है तो उससे पूछा जाए कि क्या वह अपनी प्रार्थना यह दुआ अपने भगवंत को संबोधन करके पढता है या केवल पढे हुए पाठ की तरह उसको दोहराता है तो संभव यही है कि वह उत्तर देगा कि अपने भगवंत को संबोधन करके प्रार्थना पेश करता हूँ।

 पर विचार का स्थान है कि लोगों की संसार के किसी बड़े हाकिम ,राजा, महाराजा, गवर्नर या वाइसराय के सम्मुख होने पर तो जबानन लडखडाने लगती है और लौकिक प्रेम के वशीभूत जन अपने प्रियतम के सम्मुख आने पर आवाक् हो जाते हैं पर ये सूरमा बराबर फर्र फर्र आयतें या मंत्र पढ़ते जाते हैं।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻(यथार्थ प्रकाश भाग पहला परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!)राधास्वामी!!                                               20- 06 -2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-                               (26 ) मान लो कि यदि मनुष्य सचमुच यह क्रिया कर सकता है तो उससे पूछा जाए कि क्या वह अपनी प्रार्थना यह दुआ अपने भगवंत को संबोधन करके पढता है या केवल पढे हुए पाठ की तरह उसको दोहराता है तो संभव यही है कि वह उत्तर देगा कि अपने भगवंत को संबोधन करके प्रार्थना पेश करता हूँ। पर विचार का स्थान है कि लोगों की संसार के किसी बड़े हाकिम ,राजा, महाराजा, गवर्नर या वाइसराय के सम्मुख होने पर तो जबानन लडखडाने लगती है और लौकिक प्रेम के वशीभूत जन अपने प्रियतम के सम्मुख आने पर आवाक् हो जाते हैं पर ये सूरमा बराबर फर्र फर्र आयतें या मंत्र पढ़ते जाते हैं।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻(यथार्थ प्रकाश भाग पहला परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!)राधास्वामी!!                                               20- 06 -2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- कल से आगे-       
                      (26 ) मान लो कि यदि मनुष्य सचमुच यह क्रिया कर सकता है तो उससे पूछा जाए कि क्या वह अपनी प्रार्थना यह दुआ अपने भगवंत को संबोधन करके पढता है या केवल पढे हुए पाठ की तरह उसको दोहराता है तो संभव यही है कि वह उत्तर देगा कि अपने भगवंत को संबोधन करके प्रार्थना पेश करता हूँ। पर विचार का स्थान है कि लोगों की संसार के किसी बड़े हाकिम ,राजा, महाराजा, गवर्नर या वाइसराय के सम्मुख होने पर तो जबानन लडखडाने लगती है और लौकिक प्रेम के वशीभूत जन अपने प्रियतम के सम्मुख आने पर आवाक् हो जाते हैं पर ये सूरमा बराबर फर्र फर्र आयतें या मंत्र पढ़ते जाते हैं।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻



(यथार्थ प्रकाश भाग पहला परम गुरु हुजूर साहबजी


महाराज!)

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