Sunday, November 8, 2020

रोजना वाक्यात

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

 -रोजाना वाक्यात- कल से आगे :-


अर्सा हुआ पंजाब के एक सत्संगी का इकलौता बेटा मुसलमान हो गया था। 21 बरस बाद उसने अपने माता-पिता से दोबारा मिलने की ख्वाहिश जाहिर की। माता-पिता ने मुझसे मशवरा माँगा। मैंने मशवरा दिया फोन जाकर मिलें। वह गये और मिले ।लड़का हज के लिए रवाना होने को था। वह एक मुसलमान पीर का शिष्य हो गया था। पीर साहब इंतकाल कर गये और उसे गद्दी का उत्तराधिकारी मुकर्रर कर गये। पीर साहब की हिदायत के अनुसार वह हज के लिये जा रहा था। गर्ज कि फरीकैन बड़े प्रेम से मिले। और अश्रुपूरित एक दूसरे से अलग हुये। माता-पिता दयालबाग लौट आये और लडका कराची बंदरगाह के लिए रवाना हो गया ।

 माता-पिता की ख्वाहिश है लड़का सत्संगी बन जाये और गालिबन लडके की ख्वाहिश है कि माता-पिता इस्लाम कबूल कर ले। मेरा मशवरा है सच्चे दिल से किसी राह पर चलो मालिक जरूर मदद करेगा। मजहब का मामला जबरदस्ती का नहीं है। एक सच्चा मुसलमान होना बेहतर है झूठ मूठ का सत्संगी बनने से।  इंसान ,मूर्ति, समाज व मकबरे की रस्मी पूजा कर सकता है लेकिन जिस सोसाइटी में अंतरी अभ्यास और जिंदा गुरु की भक्ति पर जोर दिया जाता है उसमें सिर्फ पदार्थ का सच्चा इच्छुक ही ठहर सकता है ।

 सच्चा सतसंगी वही है जो नित्य सच्चे दिल से अंतरी साधन करता है और सतगुरु से सच्ची प्रीत करता है । कहने के लिए हजारों सतसंगी हो सकते हैं लेकिन जो इन गुणों से खाली है वह कच्चे हैं और उन्हें राधास्वामी दयाल की शरण व राधास्वामी सत्संग में शिरकत का असली लुत्फ नहीं आ सकता।  रात के सत्संग में इसी विषय पर बातचीत हुई ।                 

       🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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