Thursday, November 19, 2020

दयालबाग़ सतसंग शाम -19/11

 **राधास्वामी!! 19-11-2020- आज शाम सतसंग में पढे जाने वाले पाठ:-                        


  (1) सुन री सखी मेरे प्यारे राधास्वामी। आज नइ धुन घट में सुनाय रहे री।।टेक।। सुन सुन धुध स्रुत हुई मतवाली। काल करम मुरझाय रहे री।।-(धुन सुन गई जहँ राधास्वामी प्यारे। अचरज दरश दिखाय रहे री।।) (प्रेमबानी-4-शब्द-3-पृ.सं.31,32)                                                    

    (2) संत की महिमा कहूँ गाई। पिरेमी जन सुध हर्षाई।। जहाँ तक बने न करते काम। किसी की जिससे होवे हान।।-(संत सम साँचा मीत नही। संत सम कोमल चीत नहीं।।) (प्रेमबिलास-शब्द-91,पृ.सं.130)  

                                                     

 (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।       

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**राधास्वामी!!       

                               

    19- 11-2020-

 आज शाम  सत्संग में पढ़ा गया बचन-

कल से आगे -(59 )

मनुष्य के शरीर में नौ छिद्र हैं। मनु जी ने नाभि से नीचे के दो छिद्र अपवित्र ठहराये है। मुख, जो नाभि से ऊपर है, अत्यधिक पवित्र ठहराया गया है।

फिर इस पवित्र द्वारे से निकला हुआ थूक यदि कोई अपवित्र वस्तु है तो पहले तो यह मुख को अपवित्र करेगा और फिर इसके छिंटे वेद की पुस्तकों को अपवित्र करेंगे।

 और यदि मुख थूक के कारण अपवित्र हो गया तो मुख के द्वारा कहा हुआ वेदों का पाठ भी अपवित्र ठहरा। और जो आहार मुख के द्वारा खाया जाता है वह भी अपवित्र ठहरता है। और यदि किसी व्यक्ति को मुख से निकले हुए थूक की अपवित्रता का ख्याल है तो उसे भूलाना नहीं चाहिए कि वह जीवन बिंदु, जिससे उसकी सत्ता उसकी माता के गर्भाशय में स्थापित हुई, नाभि के नीचे के छिद्र से निकला था।

पर क्या सचमुच आत्मिक पवित्रता मनुष्य की सत्ता पर कोई प्रभाव नहीं डालती ? यदि पृथ्वी ,जल ,अग्नि और वायु वस्तुओं को पवित्र कर सकते हैं तो अवश्य चेतनता भी पवित्र कर सकती है।                

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

यथार्थ प्रकाश भाग दूसरा

 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराजः!**


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