Friday, November 6, 2020

दयालबाग़ सतसंग वचन /06/11

**राधास्वामी!! 06-11-2020- आज सुबह और शाम का सतसंग 


 सतसंग में पढे गये पाठ:-                                 

   (1) गुरु चरन धूर कर अंजन। हिये नैन खुले मन मंजन।। मन माया जोर चलावन। ठोकर दे दूर करावन।।-(यह आरत दोना गावन। राधास्वामी किया बखानन।।) (सारबचन-शब्द-15वाँ, पृ.सं.199,200)                                                   

 (2) आज हुई सुरत गुरु चरन अधीन।।टेक।। सतगुरु चरन ध्यान धर घट में। मन और सुरत हुए दोउ लीन।।-(राधास्वामी चरन भक्ति हुई गाढी। सुरत लगी अब जस जल मीन।।) (प्रेमबानी-2- शब्द-70,पृ.सं.337)                                              

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


*राधास्वामी!!  

शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-        

                             

 (1) करूँ पहिले महिमा गुरु की बयान। किया जिसने रहमत से पैदा जहान।।-(जपूँ चित्त से नित्त राधास्वामी नाम। पाऊँ मेहर से एक दिन आदि धाम।।) (प्रेमबानी-4-मसनवी-2 ,पृ.सं.18)                                                              

 (2) सरन मैं गुरु की पाई आज। बिसारे जग के भय और लाज।। गुरु मोहि बख्शी अद्भुत जुक्त। मेहर कर कीना जीवन मुक्त।। -(सरन से गुरु की काज बन आय। मेहर कर राधास्वामी कहें समझाय।। ) (प्रेमबिलास-शब्द-83, पृ.सं.118)                                                       

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।।                    🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!-       

                            

 06-11- 2020-

 आज शाम सतसंग में पढा गया बचन- 

कल से आगे-( 41) 

इस संबंध में लेफ्टिनेंट कर्नल जेम्स टॉड साहब रचित 'राजस्थान' (Annals and Antiquities of Rajasthan) नामक पुस्तक के प्रथम भाग के पृष्ठ २१० और २११ पर मेवाड़ -राज्य के जन्मदाता बापा रावल का वृतांत पढ़ने योग्य है। बापा रावल जंगल में एक स्वामी से, जिनका नाम हारीत है, मिलता है और अपना सब वृत्तान्त सुनाता है और आशीर्वाद लेकर विदा होता है।  पर उसके अनन्तर वह प्रतिदिन स्वामीजी के दर्शन को आता है, उनके पाँव धोता है, और उनके लिए दूध और जंगली फूल लाता है। 

स्वामीजी उसे शिवजी की पूजा की विधि सिखलाते हैं और उसे अपना शिष्य स्वीकार करते हैं । कुछ दिन बीतने पर स्वामीजी शरीर छोड़ने का संकल्प करते हैं और बापा रावल को आज्ञा देते हैं कि अगले दिन प्रातः काल एक नियत स्थान पर आवे। पर बापा रावल बेपरवाही करता है और नियत समय से कुछ देर पीछे पहुँचता है। उस समय हारीत स्वामी शरीर छोड़कर विमान में सवार होकर आकाश  चढ रहे थे।

अपने शिष्य को देखकर उन्होंने विमाध रोक लिया और बापा को आशीर्वाद लेने के लिए ऊपर आने को कहा। बापा बीस हाथ लंबा हो गया पर तोभी वह विमान तक न पहुँच सका। हारीत स्वामी ने आज्ञा दी कि मुँह खोलो और उसके मुँह खोलने पर स्वामीजी ने वही कुछ किया जो उसी समय में हजरत मोहम्मद के संबंध में कहा जाता है ( हजरत मोहम्मद ने अपने लाड़ले नाती हुसैन इबन अली के मुँह में थूक दिया था)। स्वामीजी की इस क्रिया से बापा को घृणा हुई ।उसने मारे घृना के आंखें बंद कर ली जिसका परिणाम यह हुआ कि स्वामीजी फेंका हुआ थूक मुहँ में पडने के बजाय उसके पाँव पर आ गिरा और बापा रावल को अविनाशी जीवन के दान के बदले यह वर मिला  कि उसका शरीर हर प्रकार के अस्त्र-शस्त्रो के प्रहार से अक्षत तथा सुरक्षित रहे।**

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*( 42) बापा रावल के संबंध में यह कहानी कहाँ तक ठीक है हम नही कह सकते । पर यह जगत्प्रसिद्ध है कि वह मेवाड़ के राज्य का जन्मदाता हुआ। उसने अत्यंत निर्धनता और निर्बलता की अवस्था से उन्नति करके यह उच्च पद प्राप्त किया। उसे शत्रुओं  से बार-बार युद्ध करना पड़ा और उसने सदा विजय प्राप्त की । उसे विश्वास था कि उसका पृष्ठपोषक एक महात्मा का आशीर्वाद है। उसे एक बार के मुँह के थूक से वास्ता पड़ा और उस महात्मा का स्मारक एकलिंग स्वामी का मंदिर अब तक बना है । 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग दूसरा-  परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

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