Tuesday, November 24, 2020

नाटक

राधास्वामी!! 24-11-2020- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-    और रोजाना  वाक्यत 

                               

(1) शब्द ने रची त्रिलोकी सारी। शब्द से माया फैली भारी।। शब्द ही घट घट करे पुकारीरोजाना  वाक्यात । शब्द फिर अलख अगम से न्यारी।।-(शब्द में सुरत लगा कर यारी। शब्द ही चेतन करे उजारी।।) (सारबचन-शब्द-दूसरा-पृ.सं.210)                                                        

 (2) लिपट गुरु चरन प्रेम सँग आज ।।टेक।। उम्ग उमँग सतसँग कर  उनका। भक्ति भाल का लेकर साज।। - ( राधास्वामी धाम गई सुर्त सज के। आज हुआ मेरा पूरन काज।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-8- पृ.सं. 351)

🙏🏻

परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -

रोजाना वाक्यात- 6 मार्च 1933 -सोमवार:-

 सुबह सैर करते वक्त डेरी से गुजरे। दरयाफ्त करने पर मालूम हुआ कि सब जानवर अच्छी तरह है । बकरियाँ भी बच गई है। टीके का जहर नष्ट हो चुका है । अब किसी जानवर के लिए खतरा नहीं रहा ।।                            

 दयालबाग डेरी के मक्खन का मार्का क्यूपिड है। जैसे हाथी मार्का के तेल का हाथी से और बंदर मार्का के साबुन का बंदर से कोई ताल्लुक नहीं है ऐसे ही क्यूपिड का डेरी के मक्खन से कोई ताल्लुक नहीं है। 

लोग चीजों पर अपना मार्का सिर्फ इसलिए लगाते हैं कि जन सामान्य को उनकी निर्मित वस्तुओं की खरीद में धोखा न हो । लेकिन डेरी के मक्खन के बारे में एक से ज्यादा लोग ऐतराज़ कर चुके हैं। 

चुनाँचे आज एक सत्संगी ने कॉरेस्पोंडेंस के वक्त एतराज पेश किया। एतराज यह था कि क्यूपिड एक यूनानी देवता का नाम है जो बड़ा बदनाम है इसलिए किसी मजहबी सोसाइटी को ऐसे देवता का नाम से किसी भी हालत में संबंध  नही बनाना चाहिये। 

मेरा जवाब था कि क्यूपिड देवता का मक्खन से उतना ही ताल्लुक है जितना बंदरों का बंदर मार्का के साबुन से। इसके अलावा क्यूपिड मोहब्बत का देवता है।  बड़ी डिक्शनरी मँगवा कर दिखलाया कि क्यूपिड की शक्ल एक नंगे बच्चे की दिखलाई जाती है।

 आपत्ति कर्ता ने कहि लेकिन वह काम अंग में तीर मारता फिरता है।  और खुद बड़ा कामी है । जवाब दिया गया ऐसा नहीं है।  चुनाँचे एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका मँगवा कर दिखलाया कि क्यूपिड ने सिर्फ साईकी नामी कन्या से मोहब्बत की। और साईकी सुरत यानी रुह का अवतार थी ।

 दूसरे लफ्जों में रुका आशिक है । अलबत्ता एलेग्जेण्ड्रिया के शायरो ने इस यूनानी देवता के सर बहुत सी खराब बातें मढ दी है। दरअसल यह देवता एक नवजात बच्चे की तरह मासूम और मोहब्बत करने वाला है और इसकी मोहब्बत सिर्फ रुह के साथ है। काम अंग से इसका कोई ताल्लुक नहीं है ।

आखिर आपत्तिकर्ता भाई को इत्मीनान हो गया कि क्यूपिड दरअस्ल प्रेम का देवता है और उसके नाम का इस्तेमाल करना किसी तरह बेजा नहीं है। रात के सत्संग में एक सत्संगी ने बयान किया कि शहर आगरा में गीता का तर्जुमा बहुत लोकप्रिय हो रहा है।

 स्त्रियाँ तक कहती हैं कि अब गीता के उपदेश समझ में आते हैं । शुक्र है शहर के लोगों की यह सेवा दयालबाग से बन पडी।              

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-     

           

【शरण आश्रम का सपूत】

 कल से आगे:- [दूसरा दृश्य]-

( डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का इजलास- भोंडी, मुंशी भिखारी लाल वकील, प्रेमबिहारी लाल, शोभावन्ती, सुपरिटेंडेंट शरण- आश्रम हाजिर हैं)

वकील -खुदावंत नेमत! अगर हुकुम हो तो पहले बिहारी का बयान लिया जावे। 

मजिस्ट्रेट- बेहतर है।( प्रेमबिहारी लाल को चपरासी सामने खड़ा कर देता है) 

वकील- तुम्हारा नाम क्या है ?

 प्रेमबिहारी -मेरा नाम प्रेमबिहारी लाल है।

वकील-( अलहदा में)  वाह! हम तो भिखारीलाल ही रहे और ये हजरत प्रेमबिहारीलाल हो गये।

वकील -तुम यतीम हो न?

 प्रेमबिहारीलाल- यतीम से आपका क्या मतलब है?

  वकील -(मजिस्ट्रेट से) इसे किसी ने सिखाया पढ़ाया है (प्रेमबिहारी लाल से) तुम्हे किसी ने सिखलाया पढाया है?

प्रेम०- आश्रम में सभी लड़कों को लिखना पढ़ना सिखलाया जाता है ।

वकील -(मजिस्ट्रेट से) हुजूर!  जरूर कुछ दाल में काला है।

  मजिस्ट्रेट- तुम इसे यतीम के मानी बतला दो- फिजूल बात मत करो। 

वकील- खुदावन्द!  लोग तो कहते हैं- मुझे असल बात भी कहनी नहीं आती- फिजूल बात कहाँ से करूँगा। 

मजिस्ट्रेट- क्या वकील पागल है।

वकील-(पेट पर हाथ फेर कर) हुजूर पागल? पागल हरगिज़ नह़ी- अलबत्ता हुजूर के इजलास में अव्वल मरतबा पेश हुआ हूँ  इसलिए जरा तबीयत (हूँ) पाबगिल हो रही है। देखो बिहारी! यतीम के मानी उस शख्स के हैं जिसके सिर पर कोई कुछ न हो। अब बतलाओं क्या तुम यतीम हो? 

 प्रेम०-मेरे सिर पर पगड़ी है- मैं यतीम नहीं हूँ।

वकील-(झुँझला कर)  यतीम के मानी जिसका कोई खबरगीराँ न हो। 

प्रेम०-  मैं यतीम नहीं हूँ- मेरी खबर लेने वाले शरण आश्रम के सब अफसरान् है।

  वकील-( ज्यादा झुँझला कर) यतीम के मानी उस शख्स के हैं जिसके माँ बाप मर गए हो- क्या तुम यतीम है? 

प्रेम०- मेरी माँ जिंदा है मैं यतीम नहीं हूँ।

 वकील - यतीम वह है जिसका बाप मर जाय। 

प्रेम०-(दिक होकर)  सभी बूढों के माँ-बाप मर जाते हैं -क्या वे सब बूढे यतीम होते हैं? 

वकील -(झुँझला कर मजिस्ट्रेट से) हुजूर यह लड़का सीधे-सीधे बयान न देगा। जिन लोगों के यह बस में है वह जमाने भर में मशहूर है। मजिस्ट्रेट- डोंट बी सिली (Don't be silly)  तुम यतीम के माने बतलाओ- खुद माने नहीं आते और दूसरों में नुक्स निकालते हो। वकील -दाढ़ी के बाल समेट कर यतीम के मानी वह लड़का है जिसका बाप मर जाय और जो माँ की सरपरस्ती में न रहे। प्रेम०-इस मानी में मैं यतीम हूँ। वकील- और किस मानी में यतीम नहीं हो?  प्रेम०- इस मानी में यतीम नहीं हूँ कि माँ बाप से बढ़कर मोहब्बत करने वाले पाकनिहाद पुरुषों का साया मेरे सर पर है और मैं किसी गैर की इमदाद का मुहताज नहीं हूँ।  वकील -(अलहदा) इस मानी में तो हम डबल यतीम हुए- न किसी का साया हमारे सर पर है न हमारा किसी के सर पर पड़ता है।( मजिस्ट्रेट से) हुजूर !  जवाब मुखालिफ हो गया है -मैं इसे छोड़ता हूँ। अब सोभी का बयान लिया जावे । मजिस्ट्रेट - बेहतर है -(सोभी खड़ी हो जाती है ) वकील -लड़की! तुम्हारा नाम क्या है ?  सोभी -शोभावन्ती।  वकील सोभी क्यों नहीं कहती।  सोभी- इसलिए कि अब यह मेरा नाम नहीं है।  वकील - अपने बाप के मरने पर तुम शरण-आश्रम में कैसे आये?  सोभी- हँसते हुए । वकील-( झुँझला कर) मैं यह पूछता हूँ कि गाँव से यहाँ किस तरह आये?  सोभी-सवार होकर।  वकील-(झुँझला कर) तुम तनहा ही आई ? सोभी -नहीं ,प्रेमबिहारी साथ थे। वकील- तुम्हे किसी ने घर से जाने को कहा?  सोभी- अम्मा ने भाई की टाँग पर कुल्हाड़ी मारी•••••• वकील - मैं यह नहीं पूछता - किसीने तुमको यह सिखलाया कि अपने घर लौट कर मत जाना?  सोभी- अम्मा ने कहा था कि लौट कर आओगे तो दोनों की गर्दन काटूँगी- पहले अम्मा ने भाई के कुल्हाडी मारी थी इसलिए हमें ••••••••• भोंडी (घबरा कर ) क्यों झूठ बोलती है दूसरों के सिर चढ़ कर - मैंने कब कुल्हाडी मारी थी?  वकील-( मजिस्ट्रेट से ) हुजूर!  अगर इसने कुल्हाड़ी मारी तो बिहारी के निशान होता-और चूँकि निशान नहीं है इसलिए इसने कुल्हाड़ी नहीं मारी- अगर निशान होता तो जरूर दिखलाई देता - चूँकि निशान दिखलाई नहीं देता है इसलिए निशान नहीं है और इसलिए इसका बयान झूठा है- हुजूर!  और मेरा मवक्किल सच्चा और बेकसूर है। मजिस्ट्रेट -प्रेमबिहारी! क्या तुम्हारी टाँग पर कुल्हाड़ी का निशान है। प्रेम०-हुजूर है (टाँग पर निशान दिखलाता है। वकील व भोंडी घबरा जाते हैं और तवज्जुह बदलते हैं)                                      🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग (1)- कल से आगे:-( 10) जो इस कदर होशियारी दोनों किस्म के जीवो से बन आवेगी , तो कोई शक नहीं है कि राधास्वामी दयाल अपनी मेहर और दया से उन जीवो का कारज सहज में उनके अधिकार के मुआफिक बनाकर दर्जे बदर्जे एक दिन परम पद में पहुँचा देंगे।                🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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