Sunday, November 29, 2020

दयालबाग़ रविवारीय सतसंग 29/11

 **राधास्वामी!! 29-11-2020- रविवार- आज सुबह सतसंग में पढे गये पाठ:-                                    

 (1) सब की आदि शब्द को जान। अंत सभी टा शब्द पिछान।। ओअं शब्द निरंजन शब्द। ब्रह्म शब्द और माया शब्द।।-(शब्द न मरे अमर भी शब्द। शब्द न जरे अजर भी शब्द।।) (सारबचन-शब्द-तीसरा-पृ.सं.212,213)                                                      

(2) सजन प्यारे मन की कहन न मान।।टेक।। यह जग में तोहि बहु भरमावे। गुरु भक्ति में करता हान।।-( राधास्वामी मेहर करें फिर अपनी। चरनन में दें ठौर ठिकान।।) (प्रेमबानी-2-शब्द-13-पृ.सं.355,356)                                

सतसनग के बाद पढे गये पाठ:-                          

(1) भाग मेरे जागे भारी। सतगुरु आये पाहुना।।टेक।। -(अरब खरब मिल चंद सूरा। रोम एक न पावना। ऐसे मेरे प्यारे सतगुरु। राधास्वामी नावना।।) (प्रेमबिलास-शब्द-41-पृ.सं.53)                           

( 2) हे गुरु मैं तेरे दीदार का आशिक जो हुआ। मन से बेजार सुरत वार के दिवाना हुआ।। - (राग और रागिनी मैंने सुने अन्तर जाकर। मेरे नजदीक हुए हिन्दु मुसलमाँ काफिर।।) (सारबचन-गजल- पहली-पृ.सं.424)                                                                

(3) गुरु धरा सीस पर हाथ। मन क्यों सोच करे।।-(प्यारे राधास्वामी दीनदयाल। छिन छिन सार करें।) (प्रेमबानी-3-शब्द-3-पृ.सं.272)      

                                                

  (4) कौन सके गुन गाय तुम्हारे। कौन सके गुन गाये जी।।टेक।।-(राधास्वामी दयाल चरन की। महिमा निस दिन गाये जी।।) (प्रेमबिलास-शब्द-24-पृ.सं.29,30) 

                                          

(5) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलूँ या फिरूँ या कि मेहनत करूँ।। पढूँ या लिखूँ मुँह से बोलूँ कलाम। न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।। जो मर्जी तेरी के मुवाफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।।।                           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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