Tuesday, November 24, 2020

प्रेम प्रचारक का 100वें अर्ध शतक में प्रवेश

 प्रेम प्रचारक का 100वें अर्ध शतक में प्रवेश


           प्रतिष्ठित प्रेमी पाठकों को यह सूचित करते हुए हमें अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है कि उनका प्रिय हिन्दी प्रेम प्रचारक 30 नवम्बर, 2020 के अंक के प्रकाशन के साथ 100वें अर्ध-शतक में प्रवेश कर रहा है और इसके साथ स्वर्णिम सेवा के 94 वर्ष भी पूरे हो चुके हैं। 4 जनवरी, 1926 से प्रारम्भ होकर यह हुज़ूर राधास्वामी दयाल के सतसंग मिशन को दूर-दूर तक फैलाने के उद्देश्य से सतसंग समाचार, परम पूज्य आचार्यों द्वारा समय समय पर फ़रमाए गए अमृत बचन, विशेष समारोह व संगोष्ठियों की रिपोर्ट तथा द्रुतगति से देश-विदेश में बढ़ रही सतसंग गतिविधियों के समाचार निकट व दूर बसे सतसंगी भाई बहनों को पहुँचाता रहा है जिसे पढ़ कर वे न केवल हर्षित व आनन्दित होते हैं वरन् अपने आप को सतसंग से जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।

           प्रेम प्रचारक का आकार व स्वरूप समयानुसार व आवश्यकतानुसार बदलता रहा है और वर्ष 2007 में इसका ई-वर्ज़न भी प्रारम्भ हुआ। वर्तमान में यह दयालबाग़ साइंस ऑफ़ कॉन्शसनैस (DSC) आधुनिक वैज्ञानिक सिद्धान्तों व अनुसंधानों के परिपेक्ष्य में राधास्वामी मत के सर्वोच्च स्तर पर वैज्ञानिक होने के आश्वासन के सम्बंध में परम पूज्य हुज़ूर द्वारा फ़रमाई गई टिप्पणियाँ, डी.ई.आई. द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए अग्रणी प्रयास, एडवाइज़री कमेटी ऑन एजुकेशन, प्रबुद्ध मंडल द्वारा दिए गए सत्परामर्श तथा 'Golden Mean Path to Devotion' से संबंधित समाचारों को शीघ्रातिशीघ्र प्रेमी पाठकों तक पहुँचाने के लिए समर्पित भाव से कार्यरत है।


           कोविड-19 महामारी से बचाव के लिए लागू किए गए लॉक डाउन की अवधि में भी अनेक प्रतिबंधों के बावजूद इसका प्रकाशन नियमित रूप से होता रहा जिससे सतसंगी भाई बहनों को संकट व आपदा की स्थिति में सभा द्वारा जारी किए गए निर्देश व मार्ग-दर्शन मिलता रहा। पोस्ट ऑफ़िस द्वारा प्रेम प्रचारक के वितरण में विलम्ब (देरी) अथवा अनियमितताओं को देखते हुए पाठकों को ई-प्रेमप्रचारक पढ़ने का विकल्प दिया गया है।

           सुपरमैन स्कीम में रजिस्टर्ड बच्चों व दयालबाग़ की वीरांगानाओं से संबंधित समाचार, वर्चुअल मोड द्वारा ग्लोबल मार्च-पास्ट व वर्चुअल मोड से आयोजित अनेक कार्यक्रम आदि भी इसमें शामिल किए गये।

            यह महती सेवा हुज़ूर राधास्वामी दयाल के संरक्षण व निर्देशन में ही संभव हो सकी है। राधास्वामी दयाल के चरण  कमलों में विनम्र प्रार्थना है कि वे दयाल सदैव अपनी दया व मेहर बनाए रखें जिससे प्रेम प्रचारक प्रगति-पथ पर बढ़ता हुआ निरन्तर निःस्वार्थ भाव से सतसंग जगत की सेवा करता रहे।


ऐसी  निर्मल  सीतल  सेवा  बिना  दया कस होई।

बिनय करूँ कर जोरि नाथ से करो मौज अब सोई।।

No comments:

Post a Comment

सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ

  प्रस्तुति - रामरूप यादव  सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...