Wednesday, June 10, 2020

यथार्थ प्रकाश भाग -1





**राधास्वामी!! 10-06-2020- आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                                 

 (1) चरन में राधास्वामी करुँ पुकार। सरन दे लीजे मोहि उबार।। (प्रेमबानी-3-शब्द-7- पृ.सं. 278)                                               

 (2) सजन प्यारे मन की घुंडी खोल।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-128, पृ.सं. 187) 

                

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला- कल से आगे-                       🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!

! 10 -6 -2020 -


आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन

- यथार्थ प्रकाश-
कल से आगे-( 15 )

 राधास्वामी-मत में चैतन्य स्थानों की तरफ कदम बढाने के लिए ऊँचे दर्जे के चैतन्य शब्दों से सहायता ली जाती है जिनका भेद विस्तार- पूर्वक हर उम्मीदवार को शब्द- अभ्यास की युक्ति बतलाते समय समझा दिया जाता है और विश्वास यह है कि जैसे आरम्भ में चैतन्य शब्द की सहायता से निचले स्थानों में फैली और भरमती हुई सुरत सहज में अपने केंद्र अर्थात मनुष्य- शरीर में अपनी बैठक के स्थान पर सिमट आती है ऐसे ही ऊँचे मण्डलों के चैतन्य शब्दों की सहायता से वह दर्जे बदर्ज  बीच के स्थानों को पार करती हुई एक दिन जगदात्मा के केंद्र अर्थात सच्चे कुल मालिक के दरबार में पहुंच जाती है।

राधास्वामी-मत का यही आखिरी पद है और इस पद पर पहुंचने ही को परमगति या सच्ची मुक्ति की प्राप्ति कहते हैं। इस पद पर पहुंचकर किसी सुरत अर्थात आत्मा को दोबारा संसार में नही आना पड़ता । यह स्थान नित्यस्थायी है और यहाँ का निवास भी नित्य हैं ।।   
                                    

  (16) ऊपर की दफात में राधास्वामी-मत की शिक्षा का मुख़्तसिर ब्यान आ गया । अब इसे विस्तार से लिखा जाता है जिससे इस शिक्षा का सारतत्व यथार्थरूप से प्रकाशित हो जाय।   

                                                

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

                                                

 यथार्थ प्रकाश- भाग पहला

-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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