Tuesday, June 2, 2020

शाम का सतसंग और बचन






**राधास्वामी!! 02-06-2020-

आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ- (1) हे मेरे प्यारे सतगुरू। तुम दाता अपर अपारा।। (प्रेमबानी-3-शब्द-2-पृ.सं. 271)                                      (2) सतगुरु पूरे खोज कर हुआ चरन लौलीन। राधास्वामी कहें पुकार कर शिष पूरा लो चीन।। बलिहारी वा शिष्य के हौं वारी सौ बार। जड चेतन का भेद जिन चीन्ह लिया मन सार।। (प्रेमबिलास-शब्द-124,पृ.सं.181)                                                           (3) यथार्थ प्रकाश- भाग-1(परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज)          🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!!                                         02-06- 2020 -आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- यथार्थ प्रकाश- भाग पहला-{ राधास्वामी मत  की शिक्षा}:-                                          (1) राधास्वामी मत की शिक्षा अत्यंत सरल और सहज है पर उस हृदय के लिए, जो सच्चे मालिक के प्रेम से शून्य है, इसका समझना न केवल कठिन, बल्कि असंभव है।।                                                         ( 2) राधास्वामी- मत सिखलाता है कि मनुष्य के शरीर में तीन तत्व यानी जौहर मौजूद है- पहला स्थूल तत्व- जिससे मनुष्य का स्थूल शरीर बनता है, दूसरा सूक्ष्म तत्व- जो मनुष्य के मन का मसाला है और तीसरा आत्मतत्व अर्थात सुरत-जो मनुष्य के शरीर की जान है और जिससे उसके मन और शरीर का विकास होता है। मनुष्य के शरीर और मन दोनों नाशमान है परंतु आत्मा अविनाशी है।                                           (3) और जैसे मानुषी देह को रचने और जान देने वाली उसकी आत्मा अर्थात सुरत है ऐसे ही सारी सृष्टि को रचने और जान देने वाली एक "परम आत्मा " है जिसको कुल्लमालिक या राधास्वामी दयाल कहते हैं ।और जोकि आत्मा और परमात्मा अर्थात सुरत और कुलमालिक का सार तत्व यानी जौहर एक ही है इसलिए मानुषि शरीर समस्त रचना का नमूना माना जाता है और रचना को                                   " ब्रह्मांड" " और मानुषि शरीर को "पिंड" कहते हैं ।             🙏🏻राधास्वामी🙏🏻               यथार्थ प्रकाश -भाग 1 -परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**

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