Thursday, June 18, 2020

स्वामी बिन बेहाल.....





जियरे में मेरे लगन लगी, नहीं दूर मैं रहूँ ।
 मच्छी ज्यों जल बिन तड़फ के, मैं जान दे दऊँ ।।टेर।।

 स्वामी बिना बेहाल भई, किससे मैं कहूँ ।
            बहु ताप यहाँ जग में सही, अब और ना सहूँ (१)
साकार स्वामी सतगुरू, के चरण मैं गहूँ ।
           निराकार  राधास्वामी  के , मैं  धाम  में  रहूँ  (२)
 तन मन व नश्वर धन को, मैं क़तई भी ना चहूँ ।
          ध्वन्यात्मक राधास्वामी शब्द, के सँग में रहूँ (३)
 धारण किया है ( प्रण) यह, बिन स्वामी मैं ना जिऊँ ।
           राधास्वामी आदि नाम का, निज ज़ाम मैं पिऊँ (४)
                         * राधास्वामी*
 राधास्वामी प्रीति वाणी -४-१६८.

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