Wednesday, August 5, 2020

प्रेम पत्र

**परम गुरु हुजूर महाराज -

प्रेम पत्र -भाग 1-

 कल से आगे:-( 4) 

 इस वास्ते ऐसी हालत जगत की देखकर कुल मालिक सत्तपुरुष राधास्वामी दयाल ने संत सतगुरु रूप धारण करके सुरत शब्द मार्ग की आसान जुगती प्रगट की कि जिसका कुल जीव , गृह्सथ होवे या बिरक्त, औरत होवें यि मर्द, कुल मालिक राधास्वामी दयाल की हरन लेकर अभ्यास करके सतलोक यानी दयाल देश में पहुंच सकते हैं और जन्म मरण की कैद से बच कर और देंस और संसार के दुख और सुख से न्यारे होकर अमर देश में परम आनंद को, जिसका कभी अभाव या नाक नहीं हो सकता है, प्राप्त हो सकते हैं।।                  (5) सुरत शब्द कि यह है कि अपनी सुरत यानी रुह की तवज्जुह को अपने घट में , जहाँ शब्द की धुन हरदम हो रही है,  उस आवाज का पता और भेद लेकर लगाना और उसकी धुन को सुन कर छाँट करना और जो शब्द के संत सतगुरु ने हर एक स्थान रास्ते के संबंध में समझाये हैं, उसी मुआफिक धुन को पकड़ के सुरत और मन को ऊपर को चढ़ाना और इसी तरह रास्ते के मुकाम को तय करके धुर मुकाम पर जो कुल मालिक राधास्वामी दयाल का स्थान है , पहुँचकर वही विश्राम करना। क्रमशः                🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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