Saturday, August 8, 2020

शाम के सतसंग के पाठ औऱ वचन

 राधास्वामी!! 08-08-2020

-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-.    


(1) फागुन फाग रचाय पुरुष सँग खेलत स्रुत होरी मुरली बीन बजाय काल से कुल नाता तोडी।। मची सतपुर में अचरज धूम। जुड मिल आये हंस, हरख कर आरत गावें घूम। प्रेम रँग भींज रहे सब कोय। अचरज शोभा पुरूष निहायत चरनन सुरत समोय।९। (प्रेमबानी-3-शब्द-5,पृ.सं.334)                                                          

 (2) गुरु मोहि लेव आज अपनाई।।टेक।। तुम्हरे दर की हूँ मैं चेरी । निस दिन तुम गुन गाई।।-(अटक भटक और कलमल जग की। जल जल सब जल जाई।। ) (प्रेमबिलास-शब्द-30,पृ.सं.36)                                                         

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।                 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

राधास्वामी!! 08-08 -2020 -

आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे-( 70) 


कुल मालिक की ऐसी अनंत सृष्टि और ऐसी अपार महिमा है । वर्तमान रचना में अनंत ब्रह्मांड और अनंत पिंड है और अनंत सुरतें उनमें निवास करती हैं। इस रचना के पश्चात अनंत रचनाएं होंगी और अनंत ब्रह्मांड और पिंड उत्पन्न होंगे और अनंत सुरतें अनंत काल तक उत्पन्न होती रहेंगी। सत्य है, अनंत है वह और अनंत है यह अनंत से अनंत ही निकलता है और अनंत से अनंत निकलकर अनंत ही शेष रहता है।       

                                             

   🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 

यथार्थ प्रकाश- भाग पहला-

 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!



No comments:

Post a Comment

पूज्य हुज़ूर का निर्देश

  कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...