Thursday, August 20, 2020

सत्संग के उपदेश

 *सतसंग के उपदेश  --  भाग-3*

(परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज)

               

  *बचन (75)*


             

इन्सान मोम या मिट्टी का पूरे क़द का आदमी आसानी से तय्यार कर सकता है लेकिन असली आदमी बच्चे ही की शक्ल में पैदा होता है और वह भी माता के सख़्त तकलीफ़ उठाने के बाद। ऐसे ही जो जमाअतें असली बच्चे पैदा करने का काम अपने ज़िम्मे लेती हैं उन्हें सख़्त तकलीफ़ें उठानी पड़ती हैं और जो बच्चा वह तय्यार करती हैं वह शुरू में निहायत नाज़ुक और पस्तक़द होता है और बमुक़ाबिले उन लोगों के जो मोम या मिट्टी का आदमी बनाते हैं वे एक अर्सा तक घाटे में रहती हैं।

 लेकिन मोम या मिट्टी का आदमी किस काम का? वह सिवाय इसके कि अपने गिर्द तमाशा देखने वालों की एक भीड़ जमा कर ले और क्या कर सकता है? बर्ख़िलाफ़ इसके असली बच्चा हरचन्द सख़्त तकलीफ़ के बाद पैदा होता है और अर्से तक नुक़्सान देता है लेकिन जवान होने पर सैकड़ों काम करता है।

           

चुनाँचे सतसंग के ज़िम्मे यही यानी असली बच्चा पैदा करने की सेवा सुपुर्द हुई है इसलिये सतसंग की तरक़्क़ी आहिस्ता आहिस्ता ही होगी और हमें अनेक तकलीफ़ें उठानी पड़ेंगी और मोम का आदमी तय्यार करने वाली जमाअतों के मुक़ाबले हम एक अर्से तक हेच रहेंगे लेकिन हमारा काम ज़िन्दा व असली होगा और उससे संसार का उपकार होगा।*


🙏🙏🙏🙏 

*राधास्वामी* 🙏🙏🙏🙏

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