Sunday, May 2, 2021

प्रेम उपदेश /

प्रेम उपदेश** (परम गुरु हुज़ूर महाराज)*

*26. हुज़ूर राधास्वामी दयाल की दया का भरोसा रक्खो। वे सब तरह सँभालने वाले हैं और अब भी सब तरह से रक्षा कर रहे हैं और करेंगे। मत घबराओ, और जब कभी तबीअत को किसी क़दर तकलीफ़ होवे, उसको भी ख़ास दया समझो, क्योंकि यह कारख़ाना इसी ढंग पर है। इसमें बिना खैंचातानी मन के काम नहीं चलता, और इसमें भी दया संग है। इस क़दर तकलीफ़ नहीं होगी कि जिसकी बरदाश्त न हो सके, क्योंकि वे कभी बिना अपनी दया का हाथ लगाये हुए मन को नहीं ठोकते हैं। बेशक तबीअत बहुत घबराती है, पर उसमें फ़ायदा समझो। यह मन इसी तरह गढ़ा जाता है। और कोई दिन की यह तकलीफ़ है, हुज़ूर राधास्वामी दयाल अपनी मेहर और दया से शांति भी बख़्शेंगे। थोड़े दिन सबर करो और जब तबीअत ज़्यादा घबरावे, तो हाल अपना अंतर में वक़्त भजन या ध्यान के हुज़ूर के चरनों में अर्ज़ करो। इसमें मत शरमाओ और न कुछ और ख़याल करो, सब के मन का यही हाल है। और जब ज़्यादा अकुलाहट और बेकली होती है, तब घबराहट की बरदाश्त नहीं होती है। उस वक़्त पुकारने में आराम मिलता है। सो इसका कुछ हर्ज़ नहीं है। कर्त्ता धर्त्ता सब तरह से हुज़ूर राधास्वामी दयाल आप हैं। वे अपनी दया ज़रूर करेंगे, पर इस क़दर चाहिए कि चरनों की जिस क़दर याद बन सके और स्वरूप का जिस क़दर ध्यान हो सके और नाम का सुमिरन और शब्द का श्रवन जिस क़दर हो सके, इसमें लगे रहो। और जो मन तरंगें बेफ़ायदा उठावे और तुम्हारा कुछ बल पेश न जावे, तो ख़ैर। पीछे इसके जो पछतावा होता है, वही उसकी सज़ा और दवा है। इसी तरह यह मन दंड पाते पाते आहिस्ता आहिस्ता दुरुस्त हो जावेगा। यह भी हुज़ूर राधास्वामी दयाल की एक तरह की मौज मन के गढ़ने की है।🙏🏻🙏🏻**

       

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