Thursday, June 18, 2020

स्वामी से जो मिला..





स्वामी से जो मिला है अपने ही घट में ।       
                     बाहर जो भटकते माया बट में ।।
पत्थर और पानी का सामान सब जगह बना ।
                   उलट के लाना श्रुत तिल  पट में ।।
समय के सतगुरु से लेना है रास्ता ।
                      साथ तोहिं  देंगे वे निज घट में ।।
 राधास्वामी परवाना ले राह जब चलोगे।
                 स्वामी मिलेंगे तोहिं निज मठ में (६)
स्वामी ने भेजा है सतगुरू अवतार को ।                 
                     सुरतों का धोने सब मैल भारा ।।
मन का संग कर मैली सब हो गई ।
                     बिना सतगुरू कैसे जावे पारा ।।
सतसंग उनके लगे मान मन के तजे ।
                       वही   लौटेगी   सुरत     धारा ।।
राधास्वामी गावेगी पार वही जावेगी ।
                हो जावेगा उसी का सत्त उद्धारा (७)

राधास्वामी छन्द बन्द-रेखते

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