Monday, June 1, 2020

बचन पाठ






                                                                  (3)                 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!!

- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे-( 148)

का शेष भाग- नही, सतसँग की तालीम का यह असर न होगा बल्कि सूरते हाल यह होगी कि हर शख्स को, मर्द हो या औरत, अमीर हो या गरीब, गोरा हो या काला, हिंदू हो या मुसलमान, ईसाई हो या जैन , अपनी जिस्मानी, दिमागी व रूहानी ताकतों के बढ़ाने यानी उन्नत करने के लिए यकसाँ मौका मिले बशर्ते कि वह इन ताकतों का सोसाइटी यानी मुल्क के मुफाद के खिलाफ इस्तेमाल न करें - यानी हर शख्स को मदद मिलेगी  कि जिस सीगे में चाहे कदम रक्खें और किसी को एक दूसरे के मुआमलात  म़े दखल देने का हक ना होगा। लेकिन अगर कोई शख्स अपनी जिस्मानी या दिमागी ताकतों को ऐसी तरफ इस्तेमाल करने लगे या ख्यालात का प्रचार करें जिससे आवाम को नुकसान पहुँचे या पहुंचने का एहतमाल  हो तो जरूर दस्तन्दाजी की जायगी ।


यही असली मुसावात (साम्य) का बर्ताव है। मुसाबात के यह मानी नहीं है कि तमाम आदमियों को यकसाँ लम्बाई के कपड़े पहनाए जायँ या लम्बे आदमियों की टाँगे और मोटे आदमियों के जिस्म तराश दिये जायँ या अमीरों का रुपया छीन कर गरीबों व कंगालों को तकसीम कर दिया जाए ।


 न सब इंसानों के जिस्म यकसाँ बनाए जा सकते हैं , न  दिल व दिमाग। कुदरत को तफरीक(असाम्य) ही पसंद है और तफरीक ही से  कुदरत की नैरंगी व खूबसूरती है।  जैसे बैंड में मुख्तलिफ बाजे होते हैं -नफीरियाँ, ढोल, वायोलिन वगैरह- लेकिन एक राग का ख्याल रखने से सब बाजों की आवाजें एक स्वर पैदा कर देती है और आवाजों की तफरीक बाअसे मुसर्त हो जाती है।


ऐसे ही सत्संग की तालीम का यह असर होगा कि मुख्तलिफ दिल व दिमाग अपनी अपनी आवाजें निकालते हुए सुरीला राग पैदा करेंगे।

सतसंग के उपदेश- भाग तीसरा।       
             
🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

🌹🌹*


हर सू (तरफ)है आशकारा(प्रकट) जाहिर जहूर तेरा। हर दिल में बस रहा है जलवा व नूर(तेज) तेरा।।

 ऐ नूर जाने आलम(संसार की जान का प्रकाश) ! ऐ मालिके हकीकी(सच्चे मालिक)! हर शै तेरी है शाहिद(साक्षी,गवाह) हर शै में नूर तेरा।।

बादल में तेरी कुदरत बिजली में तेरा जलवा। दरिया में तेरी रहमत(दया) कतरे में नूर तेरा।।

 बादे सबा(सवेरै की सुहानी हवा) के झोंके तेरी सना के नगमे(स्तुति के गीत)।।

गुलशन तेरा जहूरा हर गुल में नूर तेरा।।वहदत(एकताई) तेरी है कसरत(अनेकता)  कसरत है नूरे जुलमत(अंधकार)।।

 हर रूह तेरा जर्रा जर्रा व नूर तेरा ।। जब से पिलाया तूने रहमत से जामें उल्फत(प्रेम का प्याला)।।

 है नाम तेरा लब पर बातिन में(अंतर) नूर तेरा।।

 ऐ साहबे करामत(परम दयालु)! वै मायए अतूफत(हे करूणाकर)! सद जान तेरे सदके(तुझ पर सो जाने निछावर) सुबहान(आश्चरयवाचक शब्द) नूर तेरा।।*


🌹🌹*


जिसने सुमिरन नही किया उसने कुछ भी नही किया* !


         

*चाहे उसने लाखो दान पुण्य किये हो ग्रंथ पढे हो  चाहे रोज सत्संग सुनता हो पर सुमिरन के बिना व्यर्थ है*


         

*सुमिरन के बिना सतगुरु के रूहानी दर्शन कभी नहीँ हो सकते*सच्ची तडप से 15 मिनट भी की गयी भक्ति कुछ दिनो तक की जाने वाली भक्ति से भी ज्यादा बेहतर है*


                     
       *रब  रब करदे  उमर  बीत  गई ,*
 *रब  की  है , कदे  सोच्या   ही  नहीं ,*



**राधास्वामी!! 01-06-2020-

आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ:-   
                            
(1) सुख समूह अंतर घट छाया। आरत सामाँ आन सजाया।। चढी सुरत सतपुरूष गजाया। सच्चखंड जा तख्त बिछाया।। (सारबचन-शब्द-5-पृ.सं.-104) (2) सुरतिया जाग उठी। सुध बचन गुरु के सार।।                                                                               

 सुन बचन गुरू के सार।। नित नई प्रीति जगत गुरु चरनन। बरनन करी न जाय।। (प्रेमबानी-2-शब्द-115,पृ.सं.249)                               

  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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