Sunday, May 31, 2020

रहीम का दान




🙏🙏 Love is God🙏🙏


रहीम एक बहुत बड़े दानवीर थे. उनकी ये एक खास बात थी कि जब वो दान देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते, तो अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे.

ये बात सभी को अजीब लगती थी कि ये रहीम कैसे दानवीर हैं!!!
ये दान भी देते हैं और इन्हें शर्म भी आती है. ये बात जब तुलसीदासजी तक पहुंची तो उन्होंने रहीम को चार पंक्तियां लिख भेजीं.
जिसमें लिखा था-

        *ऐसी देनी देन जु*
        *कित सीखे हो सेन*
       *ज्यों-ज्यों कर ऊंचौ करौ*
        *त्यों-त्यों नीचे नैन*

इसका मतलब था,
कि "रहीम तुम ऐसा दान देना कहां से सीखे हो?
जैसे-जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते हैं, वैसे-वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यूं झुक जाते हैं?"

रहीम ने इसके बदले में जो जवाब दिया,
वो जवाब इतना गजब का था कि जिसने भी सुना वो रहीम का कायल हो गया. इतना प्यारा जवाब आज तक किसी ने किसी को नहीं दिया.

रहीम ने जवाब में लिखा-

        " *देनहार कोई और है*
         *भेजत जो दिन रैन*
         *लोग भरम हम पर करें*
         *तासौं नीचे नैन*"

मतलब,
देने वाला तो कोई और है.
वो मालिक है, वो परमात्मा है! और वो दिन-रात भेज रहा है. परन्तु लोग ये समझते हैं कि मैं दे रहा हूं, रहीम दे रहा है. ये सोच कर मुझे शर्म आ जाती है और मेरी आंखें नीचे झुक जाती हैं..





No comments:

Post a Comment

पूज्य हुज़ूर का निर्देश

  कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...