Thursday, March 19, 2020

आज 19/03 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन पाठ





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राधास्वामी!! 19-03-2020     
                  
आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                                                                           
(1) आज मैं पाई सरन गुरु पूरे ।।टेक।। (प्रेक्षबाशी-3,शब्द-7,पृ.सं.199)                                                                                       
  (2)  सरन मैं गुरु की पाई आज। बिसारे जग के भय और काज।। गुरु प्यारे समरथ पुरूष सुजान।सहज में करिहैं तुम कल्याण।। (प्रेमबिलास-शब्द-83,पृ.सं. 118)                                                                             
 (3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-खल से आगे)                 

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻

राधास्वामी !! 19- 03- 2020 

                     
  आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे:-
(85)

कलों और खिलौनों में बड़ा फर्क है। देखने में बाज खिलौने कलें ही होती है लेकिन सिवाय बच्चों का दिल बहलाने के उनसे कोई काम नहीं निकलता और उनके इस्तेमाल करने के लिए ज्यादा शऊर  की जरूरत नहीं होती है। लेकिन कलों से बड़े-बड़े काम निकलते हैं अलबत्ता अगर कोई नावाकिफ आदमी किसी कल को छेड़ ले तो जल्द ही मुश्किल में गिरफ्तार हो जाता है।

कलों के वाकिफकार आदमी ही काम ले सकते हैं । वाकफियत व शऊर के बगैर उनसे बजाएं नफे के नुकसान पहुंच जाता है। अफसोस है कि ये सब बातें जानते हुए भी रचना की सबसे बड़ी कल यानी कुल मालिक के साथ, जिसकी शक्ति का कुछ बार-बार नहीं है, तमाम लोग खिलौने की तरह खेलते हैं, और इसके लिए न कोई शऊर सीखता है और न शऊर से काम लेता है।

 चुनांचे नतीजा वही होता है जो किसी नावाकिफ आदमी के किसी कल के छेड लेने से होता है। यानी लाखो इंसान मालिक का नाम जपते हैं और किसी न किसी शक्ल में उसकी भक्ति करते हैं और भक्ति के जोश में आकर एक दूसरे का सिर फोड़ते हैं गोया मालिक की भक्ति उनके लिए परेशानी का कारण हो रही है।

अगर उन्हें भक्ति का सुर होता तो परेशान होने के बजाय भक्ति का शऊर होता तो परेशान होने के बजाय भक्ति का आनंद लेते।।                                       
   🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

(सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा)








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