Tuesday, September 22, 2020

दयालबाग़ सतसंग 22/09

 **राधास्वामी!! 22-09-2020-

 आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-         

                           

 (1) अर्श पर पहुँच कर मैं देखा नूर। काल को मार कर मैं फूँका सूर।। कुंड अमृत भरे नजर आये। हंस रुप होय मोती चुन खाये।।-(भेद सब इस जगह तमाम हुआ। सब हुए चुप्प मैं भी चुप्प हुआ।।) (प्रेमबानी-3-गजल-2,पृ.सं.376-377)                                                  

 (2) सतगुरु परम पियारे की आरती सजावें। आज मिल के दास सारे।।टेक।। आरत सजी अजायब चिन्ता फिकर मुसायब। आज चित से सब बिडारी गुरु के चरन समा रे।।-(अरजी हमारी सुनिये औगुन न हमरे गुनिये। निज मेहर अब कराओ राधास्वामी दीन दयारे।।) (प्रेमबिलास-शब्द-57,पृ.सं.75-76)                                                            

  (3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।।          🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!                                       

 22-09 -2020 आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- 

कल से आगे-( 117) 

जिन व्यक्तियों को इन दिनों रूस देश की यात्रा का अवसर प्राप्त हुआ है वर्णन करते हैं कि अब स्वयं मॉस्को नगर में जहाँ, कुछ ही वर्ष पूर्व गिरजाघरों के ठाठ बाट और चमक-दमक की कोई सीमा न थी, धूल उड़ रही है।

 मॉस्को के सबसे बड़े गिरजाघर "टेंपल ऑफ द सेवियर" का स्वर्णमय शिखर- क्लश उड़ा दिया गया और आवश्यक परिवर्तन के अनन्तर वह मंदिर सोवियत के कार्यालय के लिए अर्पण कर दिया गया। रूसी नेताओं का विश्वास है कि जब तक धर्म , जो सदैव व्यक्तिगत शासन का किकंर  रहा है , व्यक्तिगत शासन के समान छिन्न-भिन्न न हो जायगा , प्रजा को चैन न मिलेगा । उनकी चेष्टा  है कि देश के अंतर्गत केवल वस्तृत्पादक Producer  रहें। 

एवं वास्तविक शासन उन्ही के हाथ में रहे और उनके सिर पर कोई दूसरी शक्ति जैसे ईश्वर , देवता तथा 'चर्च' रहने न पावे।  सो, देश भर शासन -सूत्र तथा अधिकार की प्राप्ति के लिए संग्राम में व्यग्र है।

  और अब परिस्थिति यह है कि एक और राष्ट्रीय बल तथा दरिद्रनारायणीय दल सुसज्जित है और दूसरी और जर्जर गिरजाघर और दिन-रात एकपक्षीय अग्निगोलावर्षण हो रहा है।                      

   🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

 यथार्थ प्रकाश- भाग पहला-

 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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