Wednesday, September 30, 2020

मैं कौन हूँ?

 प्रस्तुति - आत्म स्वरूप: 


🤔🤔🤔🤔🤔


*एक व्यक्ति सुबह-सुबह थोड़ा सा आध्यात्मिक हो गया और आंखें बंद करके सोचने लगा :* 🤔


1. कौन हूँ मैं ?

2. कहाँ से आया हूँ ?

3. क्यों आया हूँ ?

4. कहाँ जाना है ?


*इन प्रश्नों के चिंतन में वह इतना खो गया कि समय का ध्यान नहीं रहा।*

*तभी किचन से पत्नी की आवाज़ आई,-*


“1. एक नम्बर के आलसी हो तुम, 

2. पता नहीं कौन सी दुनिया से आये हो,

3. मेरा जिंदगी खराब करने,

4. उठो और नहाने जाओ."


*चारों प्रश्नों का बड़ी सुगमता से उत्तर मिलने से उसकी आध्यात्मिक यात्रा पूरी होने के साथ संपूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हो गई !*


😂😂😂

[9/29, 21:56] Swami Sharan: *"यदि जीवन के 40 वर्ष पार कर लिए है तो अब लौटने की तैयारी प्रारंभ करें....इससे पहले की देर हो जाये... इससे पहले की सब किया धरा निरर्थक हो जाये....."✍️*


*लौटना क्यों है*❓

*लौटना कहाँ है*❓

*लौटना कैसे है*❓


इसे जानने, समझने एवं लौटने का निर्णय लेने के लिए आइये टॉलस्टाय की मशहूर कहानी आज आपके साथ साझा करता हूँ :


*"लौटना कभी आसान नहीं होता*"


एक आदमी राजा के पास गया कि वो बहुत गरीब था, उसके पास कुछ भी नहीं, उसे मदद चाहिए...

राजा दयालु था..उसने पूछा कि "क्या मदद चाहिए..?"


आदमी ने कहा.."थोड़ा-सा भूखंड.."


राजा ने कहा, “कल सुबह सूर्योदय के समय तुम यहां आना..ज़मीन पर तुम दौड़ना जितनी दूर तक दौड़ पाओगे वो पूरा भूखंड तुम्हारा। परंतु ध्यान रहे,जहां से तुम दौड़ना शुरू करोगे, सूर्यास्त तक तुम्हें वहीं लौट आना होगा,अन्यथा कुछ नहीं मिलेगा...!"  


आदमी खुश हो गया...

सुबह हुई.. 

सूर्योदय के साथ आदमी दौड़ने लगा...

आदमी दौड़ता रहा.. दौड़ता रहा.. सूरज सिर पर चढ़ आया था..पर आदमी का दौड़ना नहीं रुका था..वो हांफ रहा था,पर रुका नहीं था...थोड़ा और..एक बार की मेहनत है..फिर पूरी ज़िंदगी आराम...

शाम होने लगी थी...आदमी को याद आया, लौटना भी है, नहीं तो फिर कुछ नहीं मिलेगा...

उसने देखा, वो काफी दूर चला आया था.. अब उसे लौटना था..पर कैसे लौटता..? सूरज पश्चिम की ओर मुड़ चुका था.. आदमी ने पूरा दम लगाया --

वो लौट सकता था... पर समय तेजी से बीत रहा था..थोड़ी ताकत और लगानी होगी...वो पूरी गति से दौड़ने लगा...पर अब दौड़ा नहीं जा रहा था..वो थक कर गिर गया... उसके प्राण वहीं निकल गए...! 


राजा यह सब देख रहा था...

अपने सहयोगियों के साथ वो वहां गया, जहां आदमी ज़मीन पर गिरा था...

राजा ने उसे गौर से देखा..

फिर सिर्फ़ इतना कहा...

*"इसे सिर्फ दो गज़ ज़मीं की दरकार थी...नाहक ही ये इतना दौड़ रहा था...! "*


आदमी को लौटना था... पर लौट नहीं पाया...

वो लौट गया वहां, जहां से कोई लौट कर नहीं आता...


अब ज़रा उस आदमी की जगह अपने आपको रख कर कल्पना करें, कही हम भी तो वही भारी भूल नही कर रहे जो उसने की

हमें अपनी चाहतों की सीमा का पता नहीं होता...

हमारी ज़रूरतें तो सीमित होती हैं, पर चाहतें अनंत..

अपनी चाहतों के मोह में हम लौटने की तैयारी ही नहीं करते...जब करते हैं तो बहुत देर हो चुकी होती है...

फिर हमारे पास कुछ भी नहीं बचता...


अतः *आज अपनी डायरी पैन उठाये कुछ प्रश्न एवं उनके उत्तर अनिवार्य रूप से लिखें* ओर उनके जवाब भी लिखें

मैं जीवन की दौड़ में सम्मिलित हुआ था, आज तक कहाँ पहुँचा?

आखिर मुझे जाना कहाँ है ओर कब तक पहुँचना है?

इसी तरह दौड़ता रहा तो कहाँ ओर कब तक पहुँच पाऊंगा? 


हम सभी दौड़ रहे हैं... बिना ये समझे कि सूरज समय पर लौट जाता है...

अभिमन्यु भी लौटना नहीं जानता था...हम सब अभिमन्यु ही हैं..हम भी लौटना नहीं जानते...


सच ये है कि "जो लौटना जानते हैं, वही जीना भी जानते हैं...पर लौटना इतना भी आसान नहीं होता..."


काश टॉलस्टाय की कहानी का वो पात्र समय से लौट पाता...!

*"मै ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि  हम सब लौट पाएं..! लौटने का विवेक, सामर्थ्य एवं निर्णय हम सबको मिले.... सबका मंगल होय...."*✍️

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