Saturday, September 12, 2020

सतसंग दयालबाग़

 **राधास्वामी!! 12-09-2020-

 आज शाम के सतसंग में पढे जाने वाले पाठ-    

                        

  (1) मन रे सतसंग गुरु का करो। प्रीति प्रतीति निज हिये धरो।।-(राधास्वामी दया मेहर ले साथा। काल करम से नाहिं डरो।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-23, पृ.सं.367-68)                               

(2) राधास्वामी सतगुरु संत की चरन धूर धर चीत। बिरही प्रेमी कारने रचूँ उन महिमा गीत।। ऐसे मूरख जीव बहु ज्ञानी नाम धराय। ठूठा बुद्धी ले फिरे अनुभव समुँद तुलाय।।-(पंडिर सा मूरख नहीं मूल बस्तु जिन खोय।ग्रन्थ बोझ सिर लादिया रहा बेगारी होय) (प्रेमबिलास-शब्द-51,पृ.सं.66)                                                                    

   (3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला

-कल से आगे।।                      

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!! 

                                                

   12-09 -2020- आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन -कल से आगे-( 107 )-सभा का वार्षिक व्यय 8 से 9 लाख तक है । 

और सभा की संस्थाओं में सैकड़ों सत्संगी साधारण वेतन अथवा वृत्ति पर काम करते हैं । और बीसों प्रेमीजन अवैतनिक सेवा करते हैं । हुजूर राधास्वामी दयाल के चरणों में प्रार्थना है कि हमें सामर्थ्य दे कि हम यथेच्छ उनके प्यारे बच्चों की सेवा कर सकें!  

हम भली प्रकार समझते हैं कि मनुष्य का काम केवल उदरपूर्ति और संतानोत्पत्ति करके आंख बंद कर लेना ही नहीं है। हम यह भी जानते हैं कि कुलमालिक किसी की सेवा का भूखा नहीं है। जो समस्त जगत् का पिता, माता और पालनकर्ता है उसकी कोई व्यक्ति क्या सेवा कर सकता है? 

 उसके भक्तों की सेवा करके ही मनुष्य उसकी प्रसन्नता और दया प्राप्त कर सकता है । इसलिए जो मनुष्य कुल मालिक से प्रीति करता है चाहे वह सत्संगी है या असत्संगी, हिंदू है या मुसलमान, ईसाई है या जैन, हमें जान और प्राण के समान प्रिय है । हमारे विचार से उसकी सेवा कुल मालिक की सेवा है।  

       🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻  

 यथार्थ प्रकाश -भाग पहला 

-परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!



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