Monday, September 28, 2020

दयालबाग़ 28/09 सत्संग

 **राधास्वामी!! 28-09-2020

- आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-     

                             

  (1) संत बचन हिरदे में धरना। उनसे मुख मोडन नहिं करना।। जिनके है मालिक का प्यार।हिन्दु और तुरक दोउ यार।।-(रस्ते में है काल का घेरा। शब्द सुना दुख दे है घनेरा।।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-आशआर सतगुरु महिमा-पृ.सं.383-384)                                    

 

(2) अचरज भाग जगा मेरा प्यारी,(मोहि) नाम दिया गुरु दाना री। जनम जनम की तृषा बुझानी, पी पी अमी अघाना री।।टेक।।  ( प्रेमबिलास-शब्द-63, पृ.सं. 81-83)  

                                

    (3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।।                          🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!!  / 28-09 -2020-


 आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- 

कल से आगे-( 122 )

 राष्ट्रीय पथपर्दर्शको तथा धर्म- विमुख नवयुवकों के आक्षेप सुनकर राधास्वामी-मत विस्मय से मुस्कुरा उठता है और कहता है -हे प्रियजनों ! अब जरा सच्चे मजहब की भी सुन लो।  एक पक्षीय  निर्णय करना उचित कार्यशैली नहीं है। मजहब अथवा परमार्थ तो भगवान का प्रदान किया हुआ एक अमूल्य वरदान है।

 आज तक जो कुछ तुम्हें मजहब के संबंध में बतलाया गया और जो कुछ तुमने उसके विषय में सुना वह मजहब नहीं है। मजहब का शब्दार्थ है - रास्ता ,मार्ग या पंथ।  मार्ग या पंथ मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाता है। संसार एक संकीर्ण तथा अन्धकारमय  स्थान है । मनुष्य का मन वासनाओं से पूर्ण है। 

तुम्हारे अंतर के अंतर सच्चे, गहरे और अविनाशी सुख तथा आनंद की वासना विद्यमान है।  संसार के पदार्थ तुम्हारी इस वासना को पूर्ण नहीं करते।  भूखा राजहंस, जिसका वास्तविक भक्ष्य मुक्ताफल है, तालाब के कंकड़ो में मुक्ताफल ढूंढता है। वहाँ मुक्ताफल कहाँ?  निदान कंकडियाँ निगलता है और उदर की पीड़ा से चिल्लाता है ।

 यही तुम्हारी दशा है। तुम संसार के पदार्थों में सच्चा, गहरा और अविनाशी सुख और आनंद खोजते हो । संसार के पदार्थ कंकडो के समान है। उनमें सच्चा सुख और आनंद कहा?  तुम विवश होकर कंकड़ी निगलते हो 

और वेदना से चिल्लाते हो । पर हर्ष है कि तुम्हें चिल्लाने की योग्यता तो आई, वरन् और लोग तो वेदना सहते हैं और कंकड़ी पर कंकड़ी निगलते हैं। सच्चा मजहब वह पंथ है जो कंकडो के तालाब अर्थात संसार से चलकर वास्तविक मानसरोवर अर्थात् निर्मल चेतनमंडल तक पहुँचता है। 

संसार तथा संसार के पदार्थों से कदापि तुम्हारी इच्छा की पूर्ति ना होगी। यद्यपि तुमने अपने विचारों, सामाजिक नियमों तथा राष्ट्रीय व्यवस्थाओं में महान परिवर्तन किये हैं तथापि कंकड किसी प्रकार मुँह में डालो कंकड़ ही रहेगा। निदान तुम्हारा संबंध मन और इंद्रियों के भोगों ही से रहेगा।   

                                   

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग पहला

- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


No comments:

Post a Comment

पूज्य हुज़ूर का निर्देश

  कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...