Wednesday, September 23, 2020

दयालबाग़ सतसंग 23/09

 राधास्वामी!! 23-09-2020

-आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ:-     

                               

(1) निज रुप पूरे सतगुरु का प्रेम मन में छा रहा। बचन अमृत धार उनके सुन अमी में न्हा रहा।।-(सुर्त ने जब धुन को पकडा आस्माँ पर चढ गई। हो गई काबिल वहाँ पर फिर न कोई गम रहा।।) (प्रेमबानी-3-गजल-3,पृ.सं.377-378)                                                      

(2) गुरु चरनन अनुराग जगा मेरे हिये न्यारा।।टेक।। (चरन दास मैं राधास्वामी गुरु का। सदा रहूँ मतवारा।।) (प्रेमबिलास-शब्द-58,पृ.सं.76)     

                                               

(3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।।   

                         

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻



 शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- 

कल से आगे-( 118)

 धर्म का पहला अपराध यह बतलाया जाता है कि  वह इस बात की अनुमति देता है कि मनुष्य धनोपार्जन करें और उसे अपना आश्रित जनों के जीवन को सुखी बनाने में व्यय  करें। जीवन को सुखी बनाने के लिए मनुष्य भव्य भवनों तथा अन्य उपयुक्त उपकरणों की अभिलाषा करता हैl

यह अभिलाषा पूरी करने के लिए आय में वृद्धि की आवश्यकता अनिवार्य होती है। आय में वृद्धि के लिए दीन श्रमजीवियों पर अनुचित बल -प्रयोग किया जाता है जिसे दीन श्रमजीवी चुपचाप सहन करते हैं और घुन लगी लकड़ी के सामान शनै शनै विनाश को प्राप्त होते हैं।        

                               

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 यथार्थ प्रकाश- भाग पहला -

परम गुरु हुजूर  साहबजी महाराज!


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