Wednesday, September 30, 2020

नींद विधान


 🚩🔱🕉️🔥📿 *आज का सत्संग* 

¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤¤   उल्टा सोवे अभागिया,सीधा सोवे रोगी,

बाये तो हर कोई सोवे,दाये सोवे जोगी


उलटा सोने से घोर निंद्रा में आत्मा शरीर से एक पल के लिए भी  बाहर नहीं निकल पाती है।विधि के अनुसार 24 घण्टे में आत्मा को इक क्षण के लिए ही सही, किन्तु शरीर का त्याग करना ही होता है।

सीधा सोने से नाक के दोनों छिद्र खुल जाते है और हम दोनों छिद्रो से साँस लेने लगते है जिससे की हमारे दोनों मस्तिष्क एक साथ कार्य करने लगते है। जिससे हममे दिवास्वप्न जैसी अवस्था का निर्माण होने लगता है भ्रम की स्थिति का भी निर्माण होता है इस स्थिति का निर्माण प्रातः 4 बजे ब्रह्म मुहूर्त मे होता है।किन्तु लौकिक  -परालौकिक ज्ञान के लिए ये समय सक्षम होता।इस समय के स्वप्न अक्सर सच्चे होते है।

बायें करवट सोने से दाया मस्तिष्क कार्य करता है एवम् आपका दायें नाक का छिद्र खुल जाता है जो की पुरुष प्रधान है इसे "शिव"कहा जाता है एवम् इसकी प्रवृति गरम होती है ।जिस्से कार्यो में बाधा उतपन्न होती है अगले दिन कार्य में बाधा आती रहती है।और क्रोध पैदा होते रहता है।

बायाँ मस्तिष्क जो स्त्रैण है ममता मई होता है ये मन को शांत रखता है।दाया सोने से बायें नाक का छिद्र खुल जाता है इससे कल्पना करने में आसानी होती है।

भगवान् ने सारे ग्रन्थ कोड भाषा में लिखे है उसे डिकोड करने की आवश्यकता है।बाए करवट में सोने से शिव साधना में सफलता प्राप्त होती है एवम् दाए सोने से शिव की साधना में सफलता प्राप्त होती हैं।

सीधा सोने से दोनों सिद्धिया प्राप्त होती है।सीधा सोने से प्रातः नाक से दोनों छिद्रो से स्वास् प्रारम्भ हो जाती है जिसे शास्त्रो में सुषम्ना का जागृत होना कहा गया है 

किन्तु इसको संभालना कठिन है यही साधना का कल्प वृक्ष है जहा हर इच्छा पूर्ण होती है।

बायें आँख में शिव का निवास होता है जो सच्चा साधक होता है उसकी एक आँख छोटी होती है यही उसकी पहचान है।

हमें नहीं लगता की ध्यान दोनों आँखों को बंद कर करना चाहिए ,शिव साधक को ध्यान के समय अपनी दाई आँख बंद रखना चाहिए एकम देवी के साधक को इसके विपरीत ध्यान करना चाहिए।दोनों आँखों कों बन्द करने में स्वयं को खोने का भय होता है।भटकने का भय होता है।आँखों को खोल कर ,शुन्य में ध्यान लगाना ही उचित है।

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