Saturday, September 26, 2020

रोजाना वाक्यात

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाकियात-

 21 जनवरी 1933 -शनिवार:- 


कोई आर्य समाजी भाई पिछले जलसे के दिनों में अजनबाना दयालबाग आये थे। उन्होंने लाहौर के प्रकाश अखबार में जलसे के हालात शाए कराये हैं। आपको यहाँ पर सहभोज बहुत पसंद आया । वाकई 15000 मर्द व औरतों का बिना भेदभाव के एक जगह मिलकर एक सा खाना खाना अपना ही असर रखता है ।खाने खिलाने का बंदोबस्त प्रेमी भाई ब्रह्म देव नारायण के सिपुर्द था। उनको बंदोबस्त में उम्मीद से बढ़कर कामयाबी हुई ।।                            

अमेरिका में मौजूदा मंदी के दफ्ईया( निरोध) के लिए एक अजीब प्रस्ताव मंजूर होने वाली है। तह में ख्याल यह है कि जिन कच्चा अन्न की बवजह बहुतायत पैदावार की कीमतें गिर गई है उनकी पैदावार कम की जावे और जो किसान अपने क्षेत्र में इन अन्न के मुतअल्लिक़ कमी करें उन्हें निश्चित भाव से नगद रुपया बतौर मुआवजा दिया जाये। 

इसका नतीजा यह होगा कि किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी और पैदावार की मात्रा में कमी हो जावेगी। ज्यादा रुपया हाथ आने से किसान जरूरयाते जिंदगी पर ज्यादा रुपया खर्च करेंगे । जिससे मुल्क के कुल कारोबार में तरक्की होगी और अजनास की पैदावार में कमी होने से उनके भाव ठिकाने पर आ जाएंगे और कसादबाजारी का खात्मा हो जायेगा। किसानों के मुआवजे की रकम एकत्रित करने के लिए यह तजवीज हुई है कि उन हस्तकला पर इन खाम अजनास का इस्तेमाल करती है नया टैक्स लगाया जाये। और उसके लिए गेहूं पीसने, तंबाकू बनाने, और गोश्त बेचने के कारखाने चयनित हुए हैं । 

मेरी राय में इस तजवीज पर अमल करने का नतीजा यह होगा कि उनका खाम अजनास की कीमत पर दोहरा असर पड़ेगा। इधर जदीद टैक्स का उधर पैदावार में तखफीक  का । क्योंकि आटा, तंबाकू और गोश्त अमेरिका में हर बड़े छोटे व्यक्ति के इस्तेमाल की चीजें हैं इसलिए कुल निवासियों के रोजाना इखराजात में जबरदस्त इजाफा होगा। 


और अगर गैर मुल्कों से इन खाम अजनास की आयात बंद न की गई तो किसानों का सत्यानाश हो जाएगा । लेकिन अमरीका खुद स्वतंत्र मुल्क है और टैरिफ का आस्थावान है । इसलिए दरआमद का कोई अंदेशा नहीं है।।      

                 बहरहाल गौर करने की बात यह है कि अमेरिका के राजनीतिज्ञ पैदावार में इजाफा को कसादबजारी के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं । मेरी भी यही राय है और भारत वासियों के लिए मुनासिब है कि इस तरफ तवज्जुह दें और कृषि से तवज्जो हटाकर सनअत व हिरफत की जानिब ध्यान देना हो।

 अगर 85% के बजाय हिंदुस्तान के सिर्फ 50% आबादी जिराअत से गुजारा करें , 35% सनअत व हिरफत से और वकिया 15% दूसरे कामों से तो जरूर मुल्क के अंदर समृद्धि हो जायगी।                                    🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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