Wednesday, September 23, 2020

रोजाना वाक्यात

 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

- रोजाना वाकिआत- कल से आगे-


 सर तेज बहादुर सप्रू में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के सामने एक स्पीच थी जिसमें गोलमेज कांफ्रेंस के हालात आने वाली रिफॉर्म्स के मजा मीन पर विशाल रोशनी डाली । आपने फरमाया की है उम्मीद न रखो कि हिंदुस्तानियों को तत्काल कनाडा वगैरह के से अख्तियारात मिल जाएंगे लेकिन जो कुछ मिलेगा वह इस काबिल है कि उसे ले लिया जाये और उसका फायदा उठाया जाये।

 और उसके लिए मुनासिब होगा कि कानूनी मशीनरी पर अधिकार जमाये और यह तब होगा जब आइंदा काउंसिलो में काबिल व विश्वासपात्र नुमाइंदे भेजे जावें । सर तेज बहादुर सप्रू का मशवरा निहायत दुरुस्त है लेकिन प्लेटो( कौल का बहुवचन, कथन) अटल है।

  वह कहता है की आवाम अंधी होती है , खुशामद से सरलतापूर्वक काबू में आ जाती है। चालाक व मक्कार बआसानी आवाम को धोखा देकर चुनाव में आ जाते हैं। और चालाकों और मक्कार आदमियों को प्राप्ति ताकत का अत्यधिक शौक रहता है। 

इसलिए आवाम से और वह भी हिंदुस्तान की सी अयोग्य आवाम से उम्मीद करनी की खुदमतलबों के दांव व फरेब से बची रहे व्यर्थ है । दर असल डेमोक्रेसी का यह एक सख्त नुक्स है । जब हमें जूता बनवाना होता है   तो एक काबिल जूता बनाने वाला से काम लेते हैं और जब हमें चिकित्सा संबंधी मदद की जरूरत होती है तो किसी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ को याद करते हैं लेकिन अपनी औलाद और अपने कुल मुल्क की निगरानी व भलाई का काम ऐसे लोगों के सिपुर्द कर देते हैं जो खुशामद व मक्कारी से ज्यादा रायें हासिल कर लेते हैं । 

डेमोक्रेसी तभी कामयाब होगी जब पहचानने वाला व जागृत बुद्धि वांछित होगी और हिंदुस्तान से मुल्क में यह किबिलीयत आने के लिए मौजूदा रफ्तार के हिसाब से कम से कम 100 बरस का अर्सख वांछित है।।     

                                       

  रात के सत्संग में सत्संग की मौजूदा सुस्त चाल के मुतअल्लिक़ बातचीत हुई। मेरी राय यह है कि हमारी तरक्की की चाल निहायत सुस्त हैं लेकिन सत्संगी भाई आम तौर इस रफ्तार से संतुष्ट है। राधास्वामी दयाल  अपनी दया करें।      

                                  

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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