Wednesday, September 23, 2020

दयालबाग़ सतसंग के अनेक प्रसंग

  बचन नं 5


1 अगस्त , 1943 को लड़कों का सतसंग हुआ । दो शब्द मौज से निकाले गए-


( 1 )        मैं भूली सतगुरु स्वामी । मैं चूकी अन्तरजामी ।। 1 ।।


 क्या क्या कहूँ मैं बिथा बखानी ।


 सब जग को पैंडियन कीन्ह दिवानी ।। 2 ।।


( सारबचन , बचन 22 , शब्द 9 )


 


  (2)       बाल समान चरन गुरू आई ।


देख दरश अतिकर हरखाई ।। 1 ।।


       खेलूं गुरु सन्मुख घर प्यार ।


सुनत रहूँ गुरु बानी सार ।। 2 ||


 आरत धारूँ उमँग प्रेम से ।


जपत रहूँ गुरु नाम नेम से ।। 3 ।।


 गुरु की लीला निरख निहार ।


बिगसत मन और बढ़त पियार || 4 ||


 राधास्वामी दीना भक्ती साज ।


चरन सरन हिये धारी आज || 5 ||


( प्रेमबानी , भाग 2 , बचन 9 ( 3 ) 

. शब्द 40 )


     फ़रमाया पहला शब्द ऐसे विद्यार्थियों के लिए है जो गत वर्ष वार्षिक परीक्षाओं में उत्तीर्ण न हो सके और जिन्होंने साल भर अपना ध्यान पढ़ाई की तरफ़ नहीं रखा । शब्द के बीच में जो बातें वर्णन की गई यानी नाम का दान पाना , नाम की युक्ति कमाना और नाम के प्रताप से मुक्ति पाना आदि सब बातें उसी दशा में सम्भव हो सकती हैं जब आदर्श सतसंगी बना जाय । परन्तु यहाँ पर छात्रों को सतसंगी बनाने का नियम नहीं है , इसलिए आपके लिए इस शब्द के अनुसार आदर्श सतसंगी होना यही है कि शिक्षा के संबंध में जो आदेश आपको ऊपर दिए गए हैं उन पर आप चलें ।

 जो रुपया आप अपने माता - पिता से भगायें उसका सदुपयोग करें , उसे शिक्षा के अलावा हानिकारक खेलों व तमाशों में न नष्ट करें । यदि आप ऐसा नहीं करते तो आप आदर्श सतसंगी नहीं बन सकते और जिस तरह से पिछले साल की लापरवाही  ध्यान न देने और समय के नष्ट करने का नतीजा निकला , संभव है कि अगले साल भी वैसा ही बुरा नतीजा निकले ।

 यह शब्द आपको इस शैक्षिक वर्ष के शुरू में चेतावनी देता है जिससे आप आरंभ ही से संभल कर चलें और जिस उद्देश्य से आप यहाँ आए हैं उसके पूरा करने में सफल हों । अनुत्तीर्ण छात्रों को चाहिए कि वे इस वर्ष आरंभ से ही ऐसा परिश्रम करें कि हर एक विषय में 70 प्रतिशत नंबर लावें । आप लोगों में से जिनको यह बातें स्वीकार हों वे हाथ उठावें । समस्त छात्रों ने हाथ उठा कर अपनी स्वीकृति दी ।


        

 इस शब्द की कड़ियाँ आपकी दशा पर बिल्कुल घटती हैं । इसी शब्द में कर्मी धर्मी का उल्लेख है । आप लोगों में कर्मी धर्मी वे छात्र हैं जो समय नष्ट करते हैं और परीक्षा में फेल हो जाते हैं । जो परिश्रम करके पास हो जावेंगे उनका छुटकारा हो जावेगा । यही उनके लिए मुक्ति का मिलना है ।

 फ़रमाया दूसरे शब्द में आता है जपत रहूँ गुरु नाम नेम से । नाम का नियम से जप करना आपके लिए यही है कि जो पाठ पढ़ाया जाए उसे आप नियम के साथ याद करें । 


        

इसके बाद तीसरा शब्द निकला –


  मेरी पकड़ो बाँह हे सतगुरु ।


नहिं बह्यो धार भौसागर ।। 1 ।।


  कोइ मंत्र सिखाओ आ कर |


लो चरन ओट किरपा कर ।। 4 ।।


   राधास्वामी सरन तू दृढ कर ।।


  फिर छोड़ न कभी उमर भर ।। 10 ।।


( सारबचन , बचन 29 , शब्द 2 )


[9/22, 13:35] H हर्ष गर्ग: अगर आपको यह पता लगे कि आपने कोई ऐसा काम किया जिसमें गलती हो गई, ऐसा नहीं करना चाहिए था, तो उसके लिए झूरे, पछताए और मालिक के चरणों में प्रार्थना करें कि आपको समा करें और अगर आपको ऐसा मालूम हो कि अपने कोई सेवा की कोई सेवा आप से बन पड़ी तो उसके लिए मालिक के चरणो में बहुत-बहुत धन्यवाद दे और इस बात की प्रार्थना करें कि आगे चलकर इससे भी अच्छी सेवा आप से बन पड़े l



                                 {राधास्वामी} 


                                                                                        - परम गुरु हुजूर डॉक्टर लाल साहब के वचन

 पश्चात् परम पूज्य हुज़ूर ने दयाकर फ़रमाया- 



हमें website on consciousness से एक और औपचारिक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है जो इसे विश्व व्यापी बनने के लिए केन्द्र सरकार, भारत द्वारा स्वीकृत है। उक्त respondent (प्रतिवेदक) द्वारा अभिव्यक्त विचारों के लिए हम सूचित करते हैं कि जैसा कि एडवाइज़री कमेटी ऑन एजुकेशन के चेयरमैन की तरफ़ से बताया गया कि हमारी निरंतर सीखने की प्रक्रिया में बिना किसी अतिरिक्त स्पष्टीकरण की आशा करते हुए हम किसी भी सुझाव व सुधारों का स्वागत करते हैं। 

इस प्रकार Dr. N. Apoorva Ratan Murty, Member, Divinity Study Forum, राधास्वामी सतंसग सभा, दयालबाग़ (रजिस्टर्ड धार्मिक एवं धर्मार्थ संस्था) को भी शामिल किया गया है। इसके अतिरिक्त Diamond Jubilee celeberations of IIT Delhi की रिपोर्ट प्रो. हुज़ूर सरन व प्रो. प्रेम कुमार कालरा, कम्प्यूटर साइंस एण्ड इंजीनियरिंग विभाग IIT Delhi द्वारा प्रेषित भी संलग्न है। धन्यवाद।


 परम पूज्य हुज़ूर द्वारा e (i.e. on-line) 

dei.www.education website


तथा नवीन महत्व प्रदत्त 'TEASE Consciousness'

के विकास के संबंध में दिया गया मार्गदर्शन


परम पूज्य हुज़ूर ने ACE (Advisory Committee on Education एक ग़ैर संवैधानिक संस्था जो DEI के लिए आम सहमति बनाने में प्रबुद्ध मंडल का कार्य करती है) के chairman के रूप में दिनांक 13.8.2020 को सुबह के सतसंग के दौरान सेंट्रल सतसंग हॉल में दयाकर निम्न मार्गदर्शन दिया-


           

 'Towards Evolutionary Art, Science and Engineering of Consciousness जो संक्षेप में 'TEASE Consciousness' कहलाती है के सभी stake holders को आदान-प्रदान की सीखने की प्रक्रिया (Learning Process of give & take) को अपनाना चाहिए। उक्त site के text को हम डी.ई.आई. (डीम्ड यूनिवर्सिटी) तथा उसकी प्रायोजक संस्था राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग़, आगरा- 282005, उत्तर प्रदेश, भारत द्वारा समय समय पर उक्त Web site के मूल उद्देश्य व भावों से संप्रेरित हो विचार करने पर आवश्यकतानुसार अद्यतन (update) करना चाहते हैं।


         

 मैं चाहूँगा कि डायरेक्टर डी.ई.आई. (गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन के रूप में) तथा प्रेसीडेन्ट, जनरल बॉडी ऑफ़ डी.ई.आई. जैसा (D.E.I. रूल्स व M.O.A. में दिया गया है) प्रेसीडेन्ट, राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग़, आगरा- 282005, उत्तर प्रदेश, भारत के रूप में (सेक्रेटरी के माध्यम से) इस वेबसाइट की प्रकृति (Nature) के अनुरूप स्थापना की परमाण्विकता (Atomicity) तथा स्वतः चलन (Automicity) की सम्भावना पर विचार करें। धन्यवाद।

          

तो क्या मैं इस विषय पर प्रेसीडेन्ट, राधास्वामी सतसंग सभा, दयालबाग़ के विचार सेक्रेटरी के माध्यम से जान सकता हूँ? Advisory Committee on Education  संक्षिप्त में 'ACE' ग़ैर, संवैधानिक संस्था जो Policy guidelines निर्मित करती है, की ओर से आवश्यकतानुसार कभी कोई प्रस्ताव विचारार्थ प्रस्तुत किया गया हो।

        

  (राधास्वामी सतसंग सभा व प्रेसीडेन्ट, सभा की ओर से सेक्रेटरी राधास्वामी सतसंग सभा ने परम पूज्य हुज़ूर द्वारा फ़रमाये गए आदेश का निम्नवत् समर्थन किया-

        

  राधास्वामी, परम पूज्य हुज़ूर द्वारा अभी नई वेबसाइट TEASE Consciousness को विकसित करने के लिए दिए गए आदेश का मैं, गुरप्यारा सतसंगी, सेक्रेटरी, राधास्वामी सतसंग सभा व सभा के प्रेसीडेन्ट की ओर से समर्थन करता हूँ। परम पूज्य हुज़ूर द्वारा यथोचित संकेत दिए जाने पर हम इस वेबसाइट को NATURE के समरूप अनुकूलतम (Optimum) व अद्यतन (updated) बनाए रखेंगे। (राधास्वामी)

*परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाकिआत- कल से आगे- सर तेज बहादुर सप्रू में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के सामने एक स्पीच थी जिसमें गोलमेज कांफ्रेंस के हालात आने वाली रिफॉर्म्स के मजा मीन पर विशाल रोशनी डाली । 

आपने फरमाया की है उम्मीद न रखो कि हिंदुस्तानियों को तत्काल कनाडा वगैरह के से अख्तियारात मिल जाएंगे लेकिन जो कुछ मिलेगा वह इस काबिल है कि उसे ले लिया जाये और उसका फायदा उठाया जाये। और उसके लिए मुनासिब होगा कि कानूनी मशीनरी पर अधिकार जमाये और यह तब होगा जब आइंदा काउंसिलो में काबिल व विश्वासपात्र नुमाइंदे भेजे जावें । सर तेज बहादुर सप्रू का मशवरा निहायत दुरुस्त है लेकिन प्लेटो( कौल का बहुवचन, कथन) अटल है।

  वह कहता है की आवाम अंधी होती है , खुशामद से सरलतापूर्वक काबू में आ जाती है। चालाक व मक्कार बआसानी आवाम को धोखा देकर चुनाव में आ जाते हैं। और चालाकों और मक्कार आदमियों को प्राप्ति ताकत का अत्यधिक शौक रहता है।

 इसलिए आवाम से और वह भी हिंदुस्तान की सी अयोग्य आवाम से उम्मीद करनी की खुदमतलबों के दांव व फरेब से बची रहे व्यर्थ है । दर असल डेमोक्रेसी का यह एक सख्त नुक्स है । जब हमें जूता बनवाना होता है   तो एक काबिल जूता बनाने वाला से काम लेते हैं और जब हमें चिकित्सा संबंधी मदद की जरूरत होती है तो किसी चिकित्सा विज्ञान के विशेषज्ञ को याद करते हैं लेकिन अपनी औलाद और अपने कुल मुल्क की निगरानी व भलाई का काम ऐसे लोगों के सिपुर्द कर देते हैं जो खुशामद व मक्कारी से ज्यादा रायें हासिल कर लेते हैं । 

डेमोक्रेसी तभी कामयाब होगी जब पहचानने वाला व जागृत बुद्धि वांछित होगी और हिंदुस्तान से मुल्क में यह किबिलीयत आने के लिए मौजूदा रफ्तार के हिसाब से कम से कम 100 बरस का अर्सख वांछित है।।    

                                        

  रात के सत्संग में सत्संग की मौजूदा सुस्त चाल के मुतअल्लिक़ बातचीत हुई। मेरी राय यह है कि हमारी तरक्की की चाल निहायत सुस्त हैं लेकिन सत्संगी भाई आम तौर इस रफ्तार से संतुष्ट है। राधास्वामी दयाल  अपनी दया करें।                                        

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


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