Saturday, September 5, 2020

दयालबाग़ सतसंग

 राधास्वामी!! 05-09-2020

- आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-     

                         

 (1) काहे को डरपे मन नादान। रहो छिप कँवल कली में आन।।-(बसाओ घट में राधास्वामी प्रीत। चलो निज घर को भौजल जीत।।) (प्रेमबानी-3-शब्द-18,पृ.सं.361)                                              

  (2) मिले मोहि राधास्वामी प्यारे सराहूँ भाग क्या अपना। दिया मोहि चरन आधारे छुडाया दर बदर फिरना।। हुई स्रुत मस्त मगनानी धसी फिर वार से पारा। दो पद रस्ते के लख कर के पुरुष के जा पडी चरना।।-( करूँ फरियाद सतगुरु से सुनो बिनती मेरे साहब। मेहर की दात माँगू हूँ पकड कर जोर से चरना।।) (प्रेमबिलास-शब्द-47,पृ.स.60)                                                                              

  (3) यथार्थ प्रकाश-भाग पहला-कल से आगे।       

              

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻



राधास्वामी!!                                           

   आज शाम के सत्संग में पढ़ा गया बचन- 

कल से आगे-(100)  

वह प्रात:काल उठकर शौचआदि से निवृत्त होकर अंतरी साधन में प्रवृत्त होता है। दिन में जीविकोपार्जन ग्रस्थआश्रम के कर्तव्यों का पालन करता है और दिनचर्या के समाप्त होने पर अपने भगवंत के स्मरण में तत्पर हो जाता है। 

संसारी पद - परिजन और भोग -विलास की वासनाओं को अपने लिए हानिकारक जान कर उनका परिहार करता है और मन तथा इंद्रियों के उपद्रव से अभिज्ञ होने से सदा उन पर अंकुश लगाया रहता है । 

जब कभी भूल चूक से या पुराने संस्कारों के प्रभाव या संगदोष के कारण कोई असंयम बन पड़ता है तो हार्दिक भाव से झुरता पछताता है और अपने भगवंत कुलमालिक से क्षमाप्रार्थी होता है , और भविष्य में अधिक सावधानी से काम लेता है। 

 जीवन-काल में विरुद्ध दशा और परिस्थिति के उपस्थित होने पर वो कभी विचलित और खिन्नचित्त नहीं होता अपितु अपने भगवंत की दया और रक्षा का भरोसा रक्खे हुए अपने हाथ पाँव चलाता है और परिणाम को उसकी मौज पर छोड़कर निश्चिंत रहता है।                                      

 🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻  

                               

यथार्थ प्रकाश  भाग पहला


 परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!

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