Wednesday, September 2, 2020

प्रेमपत्र

 **परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र- भाग 1


कल से आगे-( 24 )-इस वास्ते सब जीवों को चाहिए कि संत बचन को माने और मुआफिक  उनके हूक्म के भक्ति करके और जो जुगत वे बताते हैं उनकी प्रेम के साथ कमाई करके,जो रास्ता कि उन्होंने बताया है, उसी रास्ते होकर पहले सत्तलोक में पहुंच कर दर्शन सत्तपुरुष का करें और वहां से सत्तपुरुष की मदद लेकर राधास्वामी पद में, जो कुल मालिक और सबका निज भंडार है, पहुँचे।                                                              ( 25)  बाजे आदमी कहते हैं कि देहधारी मालिक का स्वरूप कैसे हो सकता है, वह तो बेहद और अनंत और अपार है और देहधारी का स्वरूप हददार है। यह बात भी निहायत नादानी यानी अनजानताई की है, क्योंकि सब कहते हैं कि मालिक सर्वव्यापक है  यानी सब जगह है , तो जो वह सब जगह है तो आदमी में भी जरूर मौजूद है पर किसी को नजर नहीं आता। जो कोई संतो की जुक्ती की कमाई करके अपने अंतर में मथन करेगा उसको मालिक का रुप जरूर नजर आना चाहिए , क्योंकि वह आवरणों यानी परदो से ढका हुआ है । जब अभ्यास करके सब आवरण दूर किये जावें, तब उस मालिक का जलवा और जमाल नजर आना चाहिए। पर किसी को इस भेद की खबर नहीं है, इस सबब से अपनी तुच्छ बुद्धि से,  जो निहायत अनजान है, ऐसी उल्टी समझ निकालते हैं। क्रमशः 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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