Thursday, April 16, 2020

दर्शन दीजे दीनदयाला दाता......



शब्द


(परम गुरु सरकार साहब)

दर्शन       दीजै      दीनदयाला      ।   दाता   दासन   के   हितकारी    ॥ टेक॥
जब   ते  चरन  सरन  तुम  लीनी     ।    मन  बुधि  सुरत  हुए लवलीनी   ।
तुम्हरी   किरपा   घट   में  चीन्ही    ।    होगई  जीवनि   सुफल  हमारी   ॥ 1॥
मैं   हूँ    बाल    अनाड़ी    प्यारे      ।    तुम  हो   दाता  अपर  अपारे   ।
राखो    चरनन   मोहि   सदा   रे    ।    मेरी  निस  दिन  यही  पुकारी   ॥ 2॥
यह   जग   विष  की  खान अपारा   ।    बहती  प्रबल  अनल  की धारा   ।
तुम   मोहि   लीनी  अधम   उबारा ।    गाऊँ    कैसे   महिमा    भारी     ॥ 3॥
बिछड़ूँ   नहीं   चरन   से   कबही     ।    जनम  जनम  मेरी  बिनती येही  ।
तन   बिच   दर्शन  पाऊँ  नित  ही    ।    सुन  लो   अर्ज़  ग़रीब भिखारी   ॥ 4॥
राधास्वामी        प्रान       पियारे   ।    हम   सब   दासन  के  आधारे  ।
सब जग (हमको) सहजहि लीनी तारे    ।    अचरज  अचरज  अचरज  भारी    ॥
                                                     (लीला  अचरज  अगम  अपारी) ॥ 5॥

 (प्रेम समाचार, शब्द 6)

राधास्वामी

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी। राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय
राधास्वामी।





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