Sunday, May 24, 2020

24/05 को सुबह और शाम का सत्संग पाठ और बचन





 राधास्वामी!! 24-05-2020-

आज सुबह के सतसंग में पढे गये पाठ-


(1) सुरतिया बिगस रही, हर दम गुरू सेवा धार।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-86,पृ.सं.122)                      (2) सुन री सखी मेरे प्यारे राधास्वामी। मोही प्यार से गोद बिठाय रहे री।।टेक।। (प्रेमबानी-4-शब्द-4,पृ.सं.32) नोट -दोनो पाठ विद्यार्थियों द्वारा गाये गये।।         
                    सतसंग के बाद पाठ:- (1) धन धन राधास्वामी गाय रहूँगी। जग में शोर मचाय रहूँगी।। गुरु गुरु नाम पुकार रहूँगी।।टेक।। (प्रेमबानी-4-शब्द-20,पृ.सं.157)                                                                             

  (2) हे दयाल सद् कृपाल हम जीवन आधारे। सप्रेम प्रीति और भक्ति रीति बन्दे चरन तुम्हारे।। दीन अजान इक चहें दान दीजे दया बिचारे। कृपा दृष्टि निज मेहर बृष्टि सब करो पियारे।। (प्रेमबिलास-शब्द-114-पृ.सं.171)                                                                               

(3) तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ। चलू या फिरू या कि मेहनत करूँ।। पढू या लिखू मुहँ से बोलूँ कलाम । न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम।।जो मर्जी तेरी के मुवफिक न हो। रजा के तेरी कुछ मुखालिफ जो हो।। नोट:-दोनो पाठ सतं सू द्वारा पढे गये।         
           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻*




**राधास्वामी!! 24-05-2020

- आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-   

                             

(1) प्रेम भक्ति गुरू धार हिये में, आया सेवक प्यारा हो।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-3,पृ.सं. 265)                                                           

 (2) हित की बात खोल कहूँ प्यारे गुरु पूरे का खोज लगाना।।टेक।। संत बचध पर जो है निश्चय गुरु पूरे का खोज लगाना।।(प्रेमबिलास-शब्द-116,पृ.सं. 175)                                                                           

(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा-

कल से आगे-     

   🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 24-05 -2020-.     

              

 आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे

-( 145)

दुनिया में बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो अपने मजहबी फरायज बड़े कायदे से अदा करते हैं यानी उनके अदा करने में कभी नहीं चूकते लेकिन उनकी हर बात से अहंकार की बू आती है।

हरचंद उनकी जाहिरी सूरत परहेजगारों की सी होती है लेकिन उनके साथ मोहब्बत करने से तबीयत नफरत खाती है। वजह यह है कि उनके दिल में प्रेम नहीं होता और वे अपने मजहबी फरायज रोजाना काम के तौर पर अदा करते हैं और चूँकि खुद उन्हें अपनी इस कार्रवाई से कुछ अंतरी आनंद हासिल नहीं होता इसलिए उनका मन इस कमी को अहंकार के जरिए पूरा करने की कोशिश करता है ।

यह लोग अपने अभ्यास, जप, रोजा व नमाज का लोगों से जिक्र करके वाह-वाह कराते हैं और उसे सुनकर खुश होते हैं और यह ख्याल करके ठीक ही लोगों को यह न मालूम हो जाए कि उन्हे अंतर में कुछ प्राप्त नहीं है अपनी भारी शक्ल बनाए रखने के मुतअल्लिक़ खास एहतियात से काम लेते हैं।


जाहिर है कि यह जिंदगी और भजन बंदगी दो कौड़ी की है । याद रखना चाहिए कि परमार्थ में दिल की सच्चाई के बगैर कुछ प्राप्त नहीं होता। अगर कोई शख्स सच्चे दिल से मालिक की याद बकायदा करें तो उसे जरूर दया व रुहानी तरक्की हासिल होगी ।

अगर ऐसा शख्स बावजूद सच्ची कोशिश के जब तब अपने मजहबी फरायज की अदायगी से चूक जाय या कभी उसका मन रूखा फीका होकर साधन में ना लगे तो उसे चाहिए कि अपनी भूल चूक व नाकामयाबी को ख्याल में लाकर सच्चे दिल से झुरे व पछतावै। यह झुरना व पछताना उसके लिए अजहद मुफीद होगा। उसके जरिए उसको मामूल से ज्यादा दया हासिल होगी ।।   
                                                        🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻

सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।।**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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