Thursday, May 21, 2020

प्रेम-पत्र






परम गुरु हुजूर महाराज


- प्रेम पत्र -भाग-1- कल से आगे:-


जो सुरत इस तरफ से जानेमन और इंद्री अध्ययन और लोगों की तरफ से चित्त को हटाकर अंतर में अपने निज रुप की तरफ, जो सुषुप्ति अवस्था या ने गहरी नींद की हालत के परे है, और फिर उस निज रुप के भंडार की तरफ , जो की माया की हद के पार है और वही सच्चे मालिक और सर्व रचना के पिता का धाम है, शौक के साथ तवज्जो करें तो उसको अपने निज रूप का आनंद और सुख हासिल होने लगे दुनिया और देह के दुख सुख से निवृत्ति यानी अलहदगी , जिसको मुक्ति कहते हैं फौरन हासिल होती हुई मालूम होने लगे ।।   

(४)  सुरति यानी रुह और उसका भंडार सर्व आनंद और सुख और चैतन्य शक्ति का खजाना है और उसी की धारों से जब वह इंद्रियों के स्थान पर आकर ठहरती है, हर एक इंद्री के भोग का रस मालूम होता है ।और जो वह धार ना आवे, तो कुछ मजा या रस या स्वाद मालूम नहीं हो सकता है ।।   

यह बात हालत स्वपन के बिचारने से अच्छी तरह साबित हो सकती है ,क्योंकि उस हालत में रुह यानी सुरत सब इंद्रियों की कार्रवाई उसी तौर पर ,जैसे कि जागृत अवस्था में करती है, बदस्तूर करती है और उसी तरह का आनंद और स्वाद हर एक इंद्री की कार्रवाई में मालूम होता है, जैसा की हालत जाग्रत में इससे साफ जाहिर होता है कि यह सब रस और सुख और आनंद रूह यानी सुरत की धार में है और बाहर के पदार्थ सिर्फ एक जरिया उस धार को इंद्री के मुकाम पर अंदर से खींचकर लाने के हैं , यानी आदमी के अंतर में सब रस और स्वाद और आनंद हर तरह का और ताकत उसके भोगने की मौजूद है ।।                                     

 विचार बिन आदमी इन सब ऊपर की लिखी हुई बातों को यानी दुनिया के हाल और अपनी हालतो को गौर के साथ नजर करने से आप समझ सकता है और उनसे यह नतीजा निकाल सकता है कि जो कोई पूर्ण सुख के भंडार में पहुंचना चाहे,  उसको मुनासिब  है कि अपने अंतर में भेद लेकर तवज्जो करें और चलने की जुगत दरियाफ्त करके आँख के मुकाम से ,जहां की इस सुरत की खास बैठक जागृत की हालत में है, चलना शुरू करें तो एक दिन अपने निज रुप का दर्शन कर सकता है और वहां से निज भंडार में, जहाँ से सब रुहें यानी सुरते आई है, पहुँचकर परम आनंद को प्राप्त हो सकता है


।.        🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


राधास्वामी


जैसे कि आप सभी सत्संगी भाईसाहबान व बहिने जानते है कि हमारा *दयालबाग शिक्षण संस्थान* के द्वारा आयोजित किया जाने वाला *दयालबाग साइंस आफ कांशसनेस* अंतरराष्ट्रीय संघोष्टी कल दिनांक 22 मई 2020 कि शाम 4.00 बजे से यूट्यूब पर लाइव टेलीकास्ट किया जाएगा। इसमें परम पूज्य हुज़ूर *डॉ.प्रेम सरन सत्संगी साहब* भी शामिल होंगे
लाइव टेलीकास्ट की लिंक नीचे दिया गया है जो कल शाम 3.30 के बाद खुल जाएगा आप सभी सत्संगियों से ये अनुरोध है कि इसका आप लाभ उठाकर दाता दयाल का दर्शन करेंगे
राधास्वामी


https://youtu.be/g4n-VmAoaaQ

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