Wednesday, May 27, 2020

परम गुरू हुजूर साहबजी महाराज! रोजानावाकियात



**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- 

     

रोजाना वाक्यात-   

     

  6 अक्टूबर 1932- बृस्पतवार :-   

सालाना भंडार के लिए तैयारी हो रही है लेकिन इस साल नगर के बाहर के बस्तियों से बहुत कम सत्संगी आए हैं जिसकी दो वजह है अव्वल तो नंबर की नुमाइश पटना दोयम् दिसंबर का जलसा। हर जगह से यही खबर आ रही है कि दिसंबर में बड़ी पार्टी रवाना बराए दयालबाग होगी ।।                                                  ब्यास सतसंग के दो प्रतिनिधि दयालबाग आए। बड़े प्रेम से बातचीत हुई ।मालूम हुआ कि डॉक्टर जॉनसन अपने राय के लिए खुद जिम्मेदार हैं। दूसरे किसी को दयालबाग की संस्थाओं पर एतराज नहीं है।

 मैंने पेश किया कि दुनिया के हिसाब से ब्यास सत्संग को हमारी मदद की कतई आवश्यकता नहीं है और ना हमको ब्यास सत्संग की मदद की लेकिन दुनिया को ब्यास व दयालबाग में मेल की जरूरत है।

अगर हम दोनों की नियत सेवा करने की है तो कोई वजह नहीं है कि हम ऐसी सूरत ना निकाल लें कि आपस में मेल से काम हो। जो शख्स राधास्वामी धाम, राधास्वामी नाम ,राधास्वामी दयाल के अवतार धारण करने में आस्था रखता है वह हमारा भाई है । सतगुरु का मामला किसी के बस की बात नहीं है ।

हर शख्स को अख्तियार हैं जहां चाहे श्रद्धा लावे। डेलीगेट साहबान के सामने एक फार्मूला पेश किया गया जो उन्हें संतोषप्रद हुआ उन्होंने वादा किया कि लौटकर यह मामला सरदार साहब की सेवा में पेश करेंगे और आखिरी फैसला की इत्तिला देंगे।
डेलिगेट साहबान ने जिस उदारता व हमदर्दी के साथ बातचीत की थी काबिले तारीफ थी।।                                     

 रात के सत्संग में बयान हुआ किया स्वीकृति तथ्य है कि सत्संग की तीन या चार शाखें हो गई है ।अगर हम लोग सिर्फ दूसरी शाखों की गलतियां पकडते रहें और उनकी गलतियों को ख्याल में लाकर उनसे नफरत बढ़ाते जाएं तो नतीजा ये होगा कि हमारे और उनके दरमियान अलग करने वाली खाई दिन दिन बढ़ती जाएगी।

और अगर हम सब भिन्नता को पृथक  रख कर कोई सूरत ऐसी निकाले कि जिससे सब पार्टियों को बाहम मिलने जुलने का मौका मिले तो यकीनन कुछ अर्से के अंदर बहुत से तफरू्रकात दूर हो जाएंगे ।

और सब पार्टियां एक दूसरे से सच्ची मोहब्बत करने लगेंगी। अव्वल सूरत मेंएक पार्टी दूसरी पार्टियों को नीचा दिखाने की कोशिश करेंगी और दूसरी सूरत में ऊँचा बढ़ाने की।

इसलिये अक्लमंदी इसी में है कि हम लोग मन को दबाकर  अपने से पिछडे भाइयों को नजदीक आने का और अपनी शिकायतें यानी हमारी गलतियां पेश करने का मौका दें। ऐसा करने से या तो हमारी गलतियां या उनकी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी ।

 दूसरों को अपने ख्यालात जाहिर करने और अपने ख्यालात जानने का मौका न देकर बाहम प्रेम व मोहब्बत का रिश्ता कायम होने की उम्मीद करना नादानी है ।।

  रात के वक्त दिल में धड़कन की बीमारी(फिर) जाहिर हुई । यह रोग मसूरी से लगा था मगर कुछ अर्सा से दब गया था अब फिर आने लगा है।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

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