Wednesday, May 13, 2020

ढेरों रोगनाशक फल सेव




।। ओम् ह्रीं क्लीं भुवनेश्वरी देव्यै नमो नमः ।।
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           आखिर ! सेब कितने रोगों का नाश करता है !
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                   ।। आचार्य डा.अजय दीक्षित ।।
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सेब एक फल है जिसकी गणना उत्तम कोटि के
फलों में की जाती है ।

 सेब के गुणों की प्रशंसा में अनेक लोकोक्तियां प्रसिद्ध है जैसे
सोते समय रोजाना एक सेब खाते रहे तो डाक्टर
छाती पीट कर रह जायें। सेब के पेड़ की ऊंचाई
ज्यादा बड़ी नही होती है। सेब की अनेक किस्में
होती है।

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 इनमें गोल्डन डिलीशन, प्रिन्स आल्बर्ट,
चार्ल्स रोस, न्यूटन वन्डर, बेमले सीडलिग, लेकस्टन
सुपर्व, ब्लेनहीम आरेन्ज, आरेन्ज पिपिन, रेड सोल्जर
और अमेरिकन मदुर ये दस किस्में खास और प्रसिद्ध है।
सेब का अचार, मुरब्बा, चटनी और शर्बत
भी बनाया जाता है।

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सेब का स्वाद खट्टा-मीठा होता है। खट्टे-मीठे
स्वाद वाला सेब ही उत्तम माना जाता है। सेब
पित्त-वायु को शांत करता है। तृषा (प्यास)
मिटाता है और आंतों को मजबूत करता है। आमयुक्त
पेचिश मिटाने का गुण भी सेब में है।

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 सेब का ऊपरवाला छिलका निकालकर खाने से मीठे लगते है। सेब को छील कर नही खाना चाहियें क्योंकि इसके छिलके में
कई महत्वपूर्ण क्षार होते है।

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 सुबह खाली पेट खाने पर सेब ज्यादा फायदेमंद साबित
होता है। रक्तचाप को कम करने में यह उत्तम
माना जाता है। यह शरीर में स्थित विषाक्त तत्व
को दूर करता है। सेब का सेवन करने से दांत और मसूढ़ें
मजबूत बनते है।

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 सेब के छोटे-छोटे टुकड़े करके कांच
या चीनी मिट्टी के बर्तन में चांदनी रात में बाहर
रखकर रोज सुबह-शाम 1 महीने तक सेवन करने से शरीर
तन्दुरुस्त बनता है।

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वैज्ञानिक मतानुसार :---------
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सेब में, ग्लूकोज, कार्बोहाइड्रेट, पोटेशियम ,
फास्फारस, लौह, ईथर, मैलिक एसिड, लिसिथिन,
खनिज आदि क्षार है। इसमें विटामिन ‘बी और
‘सी भी है। सेब में टार्टरिक एसिड होने के कारण
आमाशय में सेब मात्र एक घंटा में ही पच जाता है और
साथ ही खाए हुए अन्नाहार को भी पचा देता है।

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आचार्य डा.अजय दीक्षित के अनुसार :-------
सेब हृदय (दिल) , मस्तिष्क (दिमाग) , यकृत (जिगर)
और जठर को बल देता है। भूख को बढ़ाता है और शरीर
की कान्ति (चमक) में वृद्धि करता है।

सेब में पाये जाने वाले तत्त्व :---------

तत्त्व मात्रा------

प्रोटीन 0.3 प्रतिशत
वसा 0.1 प्रतिशत
कार्बोहाइड्रेट 9.5 प्रतिशत
पानी 85.9 प्रतिशत
विटामिन-बी 40 प्रतिशत
कैल्शियम 0.01 प्रतिशत
फांस्फोरस 0.02 प्रतिशत
लौह लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग, 100 ग्राम
तांबा थोड़ी मात्रा में
विटामिन–सी थोड़ी मात्रा में

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हानिकारक : --------

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सेब के सेवन की मात्रा 1 बार में 1 से 3 सेब तक
है।

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 गला बैठने की दशा में तथा गायक
कलाकारों को सेब का सेवन नही करना चाहियें।

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गुण :-------

सेब में फास्फोरस होता है। अर्थात जलन करने
वाला पदार्थ होता है। जिसे खाने से पेट साफ
होता है और आमाशय की पुष्टि होती है।

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2 सेब के छोटे-छोटे टुकड़े काटकर उस पर आधा लीटर
उबलता हुआ पानी डालकर रख दें। जब वह
पानी ठंडा हो जायें तो उसे छानकर पी लें। अगर उसमें
मिठास की आवश्यकता हो तो उसमें मिश्री मिला लें।
यह सेब का पौष्टिक और स्वादिष्ट शर्बत है।

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 यह शर्बत जल्दी ही खून में मिलकर हृदय (दिल) , मस्तिष्क
(दिमाग) , यकृत (जिगर) और शरीर के प्रत्येक कोष में
शक्ति एवं स्फूर्ति पहुंचाती है।
दांत गलते हो, दांतो में छेद हो, मसूढ़े फूलते
हों तो ऐसी दशा में भोजन के बाद रोज सेब खाने से
फायदा होता है। इसके प्रयोग से दांत और मसूढ़े ठीक हो जाते हैं ।

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁💅जय सियाराम जय जय हनुमान

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