Sunday, May 24, 2020

परम गुरू हुजूर साहबजी महाराज / रोजानावाकियात




परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -रोजाना वाकियात- 3 अक्टूबर 1932- सोमवार:-      छुट्टी का दिन है लेकिन बचा हुआ काम ज्यादा था इसलिए सुबह 10:30 बजे तक काम किया। सत्संग के उपदेश भाग तीसरा छट कर तैयार हो गया। आज टाइटल पेज पास किया गया।  दो नये क्लॉक तैयार होकर पूरे पेश हुए।  अभी कुछ कसर है। वैसे काम देते हैं लेकिन पास करने के काबिल नहीं है। वजह यह है कि हिंदुस्तान पर ढूंढ मारा कहीं से बढ़िया स्प्रिंग प्राप्त नहीं हुए। मजबूरन  बाहर आर्डर भेजा गया। कोलकाता से खरीद कर बढ़िया से बढ़िया स्प्रिंग इस्तेमाल किए हैं लेकिन उनमें दम नहीं है। आठ-दस दिन के अंदर यूरोप से स्प्रिंग आ जाएंगे और सब कसर दूर हो जाएगी।                                         रात के सत्संग में सच्ची भक्ति के मुताल्लिकक भक्ति करना बड़ा कठिन है। बिला आपा तजे भक्ति करना बडा कठिन है।बिला आपा तजे भक्ती बन ही नहीं सकती और कोई अपना आपा क्यों तजे?   हिंदुस्तान में जो पॉलिटिकल लहर चल रही है उसका नतीजा यह हो रहा है कि हर शख्स किसी न किसी किस्म की कशमकश में लगा है।  म्युनिसिपल बोर्ड की मेंम्बरी, डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के मेंबरी,इन बोर्डो की सब कमेटियों की मेंबरी , प्रोविंशियल काउंसिलो की मेंबरी, लेजिस्लेटिव असेंबली की मेंबरी गर्जकि बीसों घुड़दौड़ के मैदान है । फिर सत्संगी आपा तजने के लिए क्यों आसानी से रजामंद हो ? सतसंगीयो को मशवरा दिया जाता है कि अगर वह अपने को जेर डालकर राधास्वामी दयाल की हिदायत पर अमल करेंगे तो एक दिन आएगा कि दुनिया उनकी कुर्बानियों के दाद देगी और सत्संग के नक्शे पद चिन्हों पर चलना गर्व का कारण समझेगी । गौर का मुकाम है कि यह कभी नहीं होता कि किसी जगह सब के सब आदमी एकदम बीमार हो जाए , या मर जाए, या भूखे रहने के लिए मजबूर हो । आबादी का कोई ना कोउ  हिस्सा बकिया लोगों से बेहतर हालात में रहता है । और संसार चक्र का यह हिसाब है कि कभी कोई जमात दबी जा रही है कभी कोई।इसलिये अक्लमंदी इसी में है कि सब जमाअते मिलकर जिंदगी बसर करें। जिस जमाअत के दबे जाने की बारी को दूसरे लोग उसकी इमदाद करें। इस तरह मुल्क भर का सृष्टि नियमों से नमूदार होने वाले दुखों से बहुत कुछ बचाव  हो सकता है लेकिन सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व और हिंदुस्तानियों के लिए मिलकर काम करना लगभग नामुमकिन बना दिया है और अगर मूल्क के अंदर वातावरण ना बदला तो मिलकर काम करना कतई नामुमकिन हो जावेगा । सत्संगी भाइयों को सत्संग के सिद्धांतों की उस दिन खूब कद्र आवेगी।                                          🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

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