Friday, May 15, 2020

मिश्रित प्रसंग और जरूरी बातें




 **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज-

 सत्संग के उपदेश -भाग 2-

कल का शेष-

रफ्ता रफ्ता इसकी शोहरत हो जाती है और सैकड़ों हाजतमंद रोजाना उस बुजुर्ग के दरवाजे पर हाजिर होते हैं । क्योंकि उस बुजुर्ग को सचमुच कुदरत के किसी आला कानून का इस्तेमाल आता है और वह बखूबी हर एक तलब शगार को अपनी युक्ति यानी अपना अमल बदला देता है और हर अमल करने वाले को इच्छानुसार कामयाबी हासिल हो जाती है इसलिए जल्द ही उस बुजुर्ग की तालीम एक नए मजहब की शक्ल इख्तियार कर लेती है और सच्चे भक्तों व सेवकों की एक बकायदा जमात कायम होकर जोर-शोर से आम बक्शीश का सिलसिला जारी हो जाता है । सच्ची परमार्थी तालीम का अव्वल असर, भक्तजनों पर पड़ता है , यह है कि उनके दिल से दुनिया के सुखों व भोग विलास की बड़ाई उठ जाती है और दुनियावी तकलीफात के लिए बहुत कुछ लापरवाही जाहिर करने लगते हैं और जिस बुजुर्ग की बरकत से उन्हें दुनिया के दुखों व सुखों की जंजीरे तोड डालने की ताकत हासिल हुई है उसके कदमों में गहरी मोहब्बत व गरजमंदी पैदा हो जाती है। गहरी मोहब्बत के इजहार में श्रद्धालु तोहफे व नजराने पेश करते है। क्योंकि वे बुजुर्ग , जो इस रुहानी फेज का सिलसिला कायम फरमाते हैं , अपने मन पर सवार रहते हैं और उनका दिल दुनियावी  ख्वाहिशात से पाक व साफ रहता है इसलिए तलबगारों की भीड या दौलत व  इज्जत की कसरत उनका व उनके निकटवर्तियों का कुछ हर्ज व नुकसान नहीं कर सकते । लेकिन क्योंकि कोई भी इंसान हमेशा जिंदा नहीं रह सकता इसलिए वक्त मुनासिब पर दुनिया से कूच कर जाते हैं। उनके बाद अगर लायक व काबिल जानशीन  मौजूद नहीं है तो सब का सब कारखाना थोड़े ही अर्से में उलट जाता है और वे सब बातें, जिनसे दुनिया तंग आ रही है और जिनसे मजहब का नाम बदनाम हो रहा है जहूर में आती है।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**





फूल है हम सतगुरू
आपके बगीचे के
सहलाना आपका काम
मुरझा भी जायें कभी तो
हमें फ़िर से खिलाना आपका काम
ऐसी महक भर दो हममें
जो छुये हमें वो भी महक जाये
जो हमें देखे वो भी
बस कह कर जायें
कि देखो वो है फूल
सतगुरू की बगिया के👏💐😊





*चरन गुरू हीरदे धार रही।🌹🙏🏻गुरू बिन कौन सम्हारे मन को। सुरत उम्ँग अब शब्द गही।।🌹 कोटिन जन्म भरमते बीते।काहू मेरी आन न बाँह गही।।🌹 नौका पार चली अब गुरु बल। अगम पदारथ लीन गही।।🌹🙏🏻*




कृपया ध्यान दीजिए*



🙏🙏🙏🙏🙏🙏


कोरोना वायरस की बीमारी के कारण तथा आगरा में इसकी अधिकता होने के कारण आगरा में लोगों को इस आदेश का कड़ाई से पालन करने का आदेश है ।
सभी  भाई बहनों से निवेदन है की लॉक डाउन के इस आदेश को समझते हुए आप सरकारी नियमों का पूरी तरह से पालन करिए ।
बाइक पर एक सवारी तथा कार पर दो सवारी से ज्यादा कहीं भी ना जाए।
 मास्क लगाकर रखें ।
आपस की दूरी बनाकर रखें
 और बहुत जरूरी हो तो घर से निकले वरना बिल्कुल ना निकले।

खेती कार्य पूर्ण होने के बाद जल्दी से जल्दी आप अपने घर पर आ जाएं । ज्यादा देर सड़कों पर बिल्कुल ना रहे।

 *राधास्वामी*





संस्थापक दिवस (31.1.2005)


परम पूज्य हुज़ूर डा. प्रेम सरन सतसंगी साहब का अभिभाषण


मेरी भी कुछ भूमिका एक तुच्छ सेवक के रूप में इस यूनिवर्सिटी में रही है। उसका ख्याल मुझे इसलिये आता है कि मैं समझता हूँ कि मेरा जन्म इस संसार में परम गुरु हुज़ूर साहबजी महाराज के वरदान के फलस्वरूप हुआ और परम गुरु हुज़ूर मेहताजी महाराज ने एक बार मेरे मामाजी प्रेम बिहारी लाल जी से जिनके साथ मैं खेत पर काम कर रहा था, फ़रमाया कि क्या 'प्रिंस ऑफ वेल्स' (Prince of Wales) को परशाद दे दूँ। कुछ बात नहीं समझ में आई,पर इशारा मेरी ही तरफ़ था। और परशाद मुझे मिला। 1961 में जब मैं पढ़ लिख करके, 'एम. एस. डिग्री'(M.S. Degree) हासिल करके, 'टी.सी.एम. स्कॉलरशिप' (TCM Scholarship) के अन्तर्गत 'मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी'(Michigon State University) से वापस आया और हुज़ूर के सम्मुख प्रस्तुत हुआ तो उन्होंने मेरे सारे A 'ग्रेड' (Grade) देखकर के बहुत प्रसन्नता ज़ाहिर की और कहा कि मैं चाहता हूँ कि ऐसे ही नौजवान इस हमारे 'इंजीनियरिंग कॉलेज' (Engineering College) में आ जाएँ। फिर दो एक सेकण्ड (second) बाद बोले कि अभी नहीं तुम ख़ूब पैसा कमा लो फिर आ जाना। तो आया तो मैं, पर 1993 में बूढ़ा हो करके। पर ख़ैर, जो उनके बचन थे, वो पूरे होने थे। तो मैं तो एक तुच्छ सेवक हूँ, मात्र तुच्छ सेवक। अब राधास्वामी दयाल की मौज हो मारपीट करके मुझे हकीम बना लें। तुच्छ सेवक से मुख्य सेवक बना लें। मैं तो उनके हाथ का एक खिलौना हूँ।

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।।।।।।।।।।






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