Sunday, May 24, 2020

झूरनेऔर पछताने से मालिक की दया मिलती है




**राधास्वामी!! 24-05 -2020-. 

                    

आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन-

कल से आगे-( 145)

दुनिया में बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो अपने मजहबी फरायज बड़े कायदे से अदा करते हैं यानी उनके अदा करने में कभी नहीं चूकते लेकिन उनकी हर बात से अहंकार की बू आती है। हरचंद उनकी जाहिरी सूरत परहेजगारों की सी होती है लेकिन उनके साथ मोहब्बत करने से तबीयत नफरत खाती है। वजह यह है कि उनके दिल में प्रेम नहीं होता और वे अपने मजहबी फरायज रोजाना काम के तौर पर अदा करते हैं और चूँकि खुद उन्हें अपनी इस कार्रवाई से कुछ अंतरी आनंद हासिल नहीं होता इसलिए उनका मन इस कमी को अहंकार के जरिए पूरा करने की कोशिश करता है । यह लोग अपने अभ्यास, जप, रोजा व नमाज का लोगों से जिक्र करके वाह-वाह कराते हैं और उसे सुनकर खुश होते हैं और यह ख्याल करके ठीक ही लोगों को यह न मालूम हो जाए कि उन्हे अंतर में कुछ प्राप्त नहीं है अपनी भारी शक्ल बनाए रखने के मुतअल्लिक़ खास एहतियात से काम लेते हैं।
जाहिर है कि यह जिंदगी और भजन बंदगी दो कौड़ी की है । याद रखना चाहिए कि परमार्थ में दिल की सच्चाई के बगैर कुछ प्राप्त नहीं होता। अगर कोई शख्स सच्चे दिल से मालिक की याद बकायदा करें तो उसे जरूर दया व रुहानी तरक्की हासिल होगी ।

अगर ऐसा शख्स बावजूद सच्ची कोशिश के जब तब अपने मजहबी फरायज की अदायगी से चूक जाय या कभी उसका मन रूखा फीका होकर साधन में ना लगे तो उसे चाहिए कि अपनी भूल चूक व नाकामयाबी को ख्याल में लाकर सच्चे दिल से झुरे व पछतावे। यह झुरना व पछताना उसके लिए अजहद मुफीद होगा। उसके जरिए उसको मामूल से ज्यादा दया हासिल होगी ।।                                                             🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।।*


राधास्वामी
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राधास्वामी

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