Thursday, May 21, 2020

21/05 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया पाठ - बचन





राधास्वामी!!

21-05-2020-

आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                                 

(1) दया के सिंध सतगुरू। जीवन के हितकारी हो।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-1 भाग छठा-पृ.सं.261)                                           

 (2) सन सन रह्या न जाय महिमा सतगुरू की।।टेक।।(प्रेमबिलास-शब्द-117,पृ.सं-174)                             

  (3) सतसंग के उपदेश -भाग तीसरा।।                                                                                                                                               

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 21-05-2020-

 आज शाम के सतसंग में पढा गया बचन

-( 143)

बाज लोग कहते हैं कि नफ्स यानी मन का मार डालना ही दुनिया से नजात हासिल करने का असली जरिया है। उनका ख्याल है कि इंसान सिर्फ कुव्वते इरादी ( संकल्प शक्ति) है ।

इस कुव्वत से संसारी वासनाएँ पैदा होती है और वासनाओं से फिसाद रुनुमा( प्रकट) होते हैं और झगड़े व फिसाद से दुख व क्लैश पैदा होते हैं। इसीलिए वे कहते हैं कि हर इंसान का फर्ज है कि उस कुव्वते इरादी यानी "मन" का खात्मा करें।

यह " मन " माया का जाल है । उसका नष्ट कर देना ही असली निर्वाण है । और निर्वाण से मुराद मोक्षा या मुक्ति ली जाती है । यह लोग अपनी बात की पुष्टि के लिए महात्मा बुध और ऋषियों के उपदेश का आसरा लेते हैं लेकिन यह भूल जाते हैं कि नफ्स या मन का खात्मा कर देना मोक्ष- मार्ग में सिर्फ पहली मंजिल है ।

मन को मार डालने के सिर्फ कुछ मुद्दत के लिए दुनिया की जहमतों से छुटकारा हो जाता है लेकिन यह कानून यानी सृष्टि नियम, जिसकी मार्फत हमें इस मर्तबे संसार में जन्म लेना पड़ा,  बदस्तूर हमारे पीछे लगा रहता है । कुछ अर्से आराम के बाद वह हमें फिर दुनिया में धकेल देता है ।।   

                                                

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻                                      सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा।।**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
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