उन दिनों विदेशी मुद्रा1के लिए रिज़र्व।बैंक का परमिट ज़रूरी होता था। वैसे विदेश जाने वाले सैलानी को 8 डॉलर या 3 पाउंड ही मिला करते थे। पश्चिम जर्मनी की मेरी यह यात्रा 16 फरवरी से 1 मार्च, 1975 तक थी। उसके बाद मुझे लंदन औऱ रोम जाना था जिस का प्रबंध मेरी जर्मनी वाली टिकट में ही कर दिया गया। लंदन में उस समय टाइम्स ऑफ इंडिया के विशेष संवाददाता जे.डी. सिंह थे, उन्हें मैंने अपने लंदन आने की खबर दे दी थी। पश्चिम जर्मनी देखने का मन में बहुत उत्साह था। 1945 में दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हुआ था। लेकिन सितंबर 1949 को ही मित्र देशों अमेरिका,।ब्रिटेन और फ्रांस से खुदमुख्तारी प्राप्त हुई थी। उसकी पुरानी राजधानी बर्लिन पर मित्र देशों का अधिकार था। लिहाज़ा उसने बोन में अपनी नई राजधानी बनाने का1फैसला किया और वहां के लोग दिलोजान से देश के पुनर्निर्माण के काम में जुट गये। इसी प्रकार ध्वस्त हुए दूसरे शहरों के पुर्ननिर्माण का काम पूरी रफ्तार पर था। मन में यह देखने की ललक थी कि किस तरह से तीस साल के भीतर न केवल अपने देश को जर्मनी ने नई राजधानी सहित देश को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया बल्कि आर्थिक तौर पर भी वह बहुत मजबूत ही गया है। जब मैं फ़्रंकफ़र्ट एयरपोर्ट पर उतरा तो उसे देखकर गजब का रोमांच महसूस हुआ। न केवल वह बहुत ही आधुनिक हवाई अड्डा था बल्कि उस दौर का सबसे बड़ा। ऐसा लग कि वास्तव में यह1शहर जर्मनी की धड़कन ह। ऊंची गगनचुंबी इमारतें, दुनिया भर के बैंक, रेलों से जुड़ाव, सभी2संस्कृतियों2का1संगम वहा दीख रहा था।
Sunday, May 24, 2020
मेरी पहली विदेश यात्रा भाग-2 / त्रिलोकदीप
उन दिनों विदेशी मुद्रा1के लिए रिज़र्व।बैंक का परमिट ज़रूरी होता था। वैसे विदेश जाने वाले सैलानी को 8 डॉलर या 3 पाउंड ही मिला करते थे। पश्चिम जर्मनी की मेरी यह यात्रा 16 फरवरी से 1 मार्च, 1975 तक थी। उसके बाद मुझे लंदन औऱ रोम जाना था जिस का प्रबंध मेरी जर्मनी वाली टिकट में ही कर दिया गया। लंदन में उस समय टाइम्स ऑफ इंडिया के विशेष संवाददाता जे.डी. सिंह थे, उन्हें मैंने अपने लंदन आने की खबर दे दी थी। पश्चिम जर्मनी देखने का मन में बहुत उत्साह था। 1945 में दूसरा विश्वयुद्ध समाप्त हुआ था। लेकिन सितंबर 1949 को ही मित्र देशों अमेरिका,।ब्रिटेन और फ्रांस से खुदमुख्तारी प्राप्त हुई थी। उसकी पुरानी राजधानी बर्लिन पर मित्र देशों का अधिकार था। लिहाज़ा उसने बोन में अपनी नई राजधानी बनाने का1फैसला किया और वहां के लोग दिलोजान से देश के पुनर्निर्माण के काम में जुट गये। इसी प्रकार ध्वस्त हुए दूसरे शहरों के पुर्ननिर्माण का काम पूरी रफ्तार पर था। मन में यह देखने की ललक थी कि किस तरह से तीस साल के भीतर न केवल अपने देश को जर्मनी ने नई राजधानी सहित देश को अपने पैरों पर खड़ा कर दिया बल्कि आर्थिक तौर पर भी वह बहुत मजबूत ही गया है। जब मैं फ़्रंकफ़र्ट एयरपोर्ट पर उतरा तो उसे देखकर गजब का रोमांच महसूस हुआ। न केवल वह बहुत ही आधुनिक हवाई अड्डा था बल्कि उस दौर का सबसे बड़ा। ऐसा लग कि वास्तव में यह1शहर जर्मनी की धड़कन ह। ऊंची गगनचुंबी इमारतें, दुनिया भर के बैंक, रेलों से जुड़ाव, सभी2संस्कृतियों2का1संगम वहा दीख रहा था।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सूर्य को जल चढ़ाने का अर्थ
प्रस्तुति - रामरूप यादव सूर्य को सभी ग्रहों में श्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि सभी ग्रह सूर्य के ही चक्कर लगाते है इसलिए सभी ग्रहो में सूर्...
-
प्रस्तुति- अमरीश सिंह, रजनीश कुमार वर्धा आम हो रहा है चुनाव में कानून तोड़ना भारतीय चुनाव पूरे विश्व में होने वाला सबसे बड़ा चुनाव ह...
-
From Wikipedia, the free encyclopedia This article is about the academic discipline. For the academic journals named Theological St...
-
Poor Best नाम : मोहनदास करमचंद गांधी। उपनाम : बापू, संत, राष्ट्रपिता, महात्मा गांधी। जन्मतिथि : 2 अक्तूबर 186...
No comments:
Post a Comment