Monday, May 25, 2020

सत्संग के उपदेश भाग-3 बचन - 145 (महत्वपूर्ण)





राधास्वामी!! 25-05-2020-
 आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ-                                 
  (1) जीव उबारन जग में आए। राधास्वामी दीन दयाला हो।।टेक।। (प्रेमबानी-3-शब्द-4,पृ.सं.265)                                                                   
 (2) समझ मोहि आई आज गुरू बात।।टेक।। (प्रेमबिलास-शब्द-120- पृ.सं.176)                                                                             
(3) सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा।                                       
  🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!! 24-05 -2020-.
                       

आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन-

 कल से आगे-( 145)

 दुनिया में बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो अपने मजहबी फरायज बड़े कायदे से अदा करते हैं यानी उनके अदा करने में कभी नहीं चूकते लेकिन उनकी हर बात से अहंकार की बू आती है। हरचंद उनकी जाहिरी सूरत परहेजगारों की सी होती है लेकिन उनके साथ मोहब्बत करने से तबीयत नफरत खाती है।

वजह यह है कि उनके दिल में प्रेम नहीं होता और वे अपने मजहबी फरायज रोजाना काम के तौर पर अदा करते हैं और चूँकि खुद उन्हें अपनी इस कार्रवाई से कुछ अंतरी आनंद हासिल नहीं होता इसलिए उनका मन इस कमी को अहंकार के जरिए पूरा करने की कोशिश करता है ।

यह लोग अपने अभ्यास, जप, रोजा व नमाज का लोगों से जिक्र करके वाह-वाह कराते हैं और उसे सुनकर खुश होते हैं और यह ख्याल करके ठीक ही लोगों को यह न मालूम हो जाए कि उन्हे अंतर में कुछ प्राप्त नहीं है अपनी भारी शक्ल बनाए रखने के मुतअल्लिक़ खास एहतियात से काम लेते हैं।

जाहिर है कि यह जिंदगी और भजन बंदगी दो कौड़ी की है । याद रखना चाहिए कि परमार्थ में दिल की सच्चाई के बगैर कुछ प्राप्त नहीं होता।

अगर कोई शख्स सच्चे दिल से मालिक की याद बकायदा करें तो उसे जरूर दया व रुहानी तरक्की हासिल होगी । अगर ऐसा शख्स बावजूद सच्ची कोशिश के जब तब अपने मजहबी फरायज की अदायगी से चूक जाय या कभी उसका मन रूखा फीका होकर साधन में ना लगे तो उसे चाहिए कि अपनी भूल चूक व नाकामयाबी को ख्याल में लाकर सच्चे दिल से झुरे व पछतावै। यह झुरना व पछताना उसके लिए अजहद मुफीद होगा। उसके जरिए उसको मामूल से ज्यादा दया हासिल होगी ।।     

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🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻


 सत्संग के उपदेश भाग तीसरा**


**राधास्वामी!! 25-05 -2020-. 
                 
  आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 145)  का शेष भाग:-

                                            
 जिक्र है कि अमीर मुआविया, जो अपने मजहब के बडे पक्के थे, हमेशा बकायदा नमाज अदा करते थे लेकिन एक रात वो ऐसे सोये कि सुबह हो गई और नमाज का वक्त गुजरने लगा।

हालते ख्वाब में आपको शैतान ने आकर जगाया और कहग उठो, सुबह हो गई।नमाज का वक्त जा रहा है। अमीर बड़े ताज्जुब में पड़ गए कि यह कैसे मुमकिन है कि शैतान, जिसका काम लोगों को मालिक की याद से हटाना है, उन्हें नमाज के लिए जगावे।

 उन्होंने शैतान से कहा- सच बतला, तू यह काम खिलाफफितरत (स्वभाव के विरुद्ध) क्यों करता है ? उसने जवाब दिया- तुम्हारी मदद करने के लिये।अमीर ने कहा यह नामुमकिन है । तुझसे सिवाय दुश्मनी के और किसी बात की उम्मीद नहीं हो सकती।

आखिर शैतान ने असल वजह बतलाई और कहा कि मैंने तुम्हें इसलिए बेदार किया कि अगर तुम्हारी नमाज कजा हो जाती तो तुम अपने इस कसूर पर इतना रोते की जमीन तर हो जाती और सातों आसमान थर्रा उठते। जिससे तुम पर खुदा की अजहद मेहरबानी होती ।

इसलिए मैंने मुनासिब समझा कि तुम्हें जगा दूँ ताकि तुम हस्बमामूल नमाज पढ़ लो और तुम्हारा  दिल ठंडा रहे और तुम्हे खुदा की मेहरबानी हासिल करने का मौका ना मिले जो नमाज कजा होने पर झुरने व पछताने से मिलती।।         

   🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻         

                   
  सत्संग के उपदेश -भाग तीसरा।**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी।।
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