Sunday, May 24, 2020

विभिन्न प्रसंग सत्संग वचन उपदेश





**परम गुरु हुजूर महाराज- प्रेम पत्र -भाग-1-


 कल से आगे (2)

ऐसे जीवो का हिसाब अलग है , यानी उनके वास्ते जो कुछ होता है और उनसे जो कुछ की बनता है वह सब कुल मालिक राधास्वामी दयाल की मौज से होता है। वह  तो सच्ची शरण में आकर बाल समान अपने सच्चे माता पिता राधास्वामी दयाल के आसरे और उनकी दया के भरोसे पर जीते हैं और सब अपने कारोबार और कुटुंब परिवार को उनकी मौज के आहरे रखते हैं, यानी जैसे वे रक्खे उसी में राजी रहते हैं ।

और दुनिया के दस्तूर के मुआफिक थोड़ा बहुत जतन भी दुनिया के कामों में करते हैं, पर उसमें राधास्वामी दयाल की मौज को अपनी चाह और जरूरत पर सबसे बढ़कर रखते हैं और कभी मौज से नाराज नहीं होते है।।         

(3) ऐसे जीव पुरुषार्थ का कुछ भरोसा नहीं रखते , सिर्फ अपने मालिक के हुकुम और मौज को सब कामों में मानते हैं और समझते हैं कि जो कुछ उनके और उनके कुटुम्ब और परिवार के वास्ते होता है वह राधास्वामी दयाल माता औऋ पिता के हुकुम से होता है और मां बाप अपने बच्चों के वास्ते कभी कोई बात तकलीफ या नुकसान कि नहीं करेंगे ।इस वास्ते जब कोई बात जाहिर में नुकसान या तकलीफ की पैदा होवे, तो उसमें भी मौज और अपना असली नफा और फायदा समझते हैं , जैसे कि जब बालक को फोड़ा निकलता है तो माता बालक को अपनी गोद में लेकर डॉक्टर से चिरा दिलवाती है ।

उस वक्त जाहिर में यह काम दुखदाई मालूम होता है, पर फायदा उसका थोड़े अरसे में जाहिर होगा कि फोड़े का दर्द दूर हो जाएगा और जल्द उसको आराम होवेगा।

क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**




**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज
 -सत्संग के उपदेश- भाग 2

 -कल से आगे :- 


    यह लोग भी एक मानी में दौलत पैदा करने वाले ही हैं क्योंकि बिला इनकी सहायता के पहली किस्म के आदमी दौलत पैदा करने में लाचार रहते हैं।

 इन दो के अलावा एक तीसरी किस्म के लोग हैं, जिनकी मौजूदगी हर मुल्क के अंदर निहायत है लाजिमी है और जिनसे दौलत पैदा करने वालों को बहुत कुछ फायदा पहुंचता है। ये तिजारतपेशा है, जो एक जगह की चीजें दूसरी जगह भेज कर जिसं पैदा करने वालों के लिए बाजार या मांग पैदा करते हैं।

अगर तिजारतपेशा न हो तो कच्ची चीजें पैदा करने वालों के लिए जीना निहायत दुश्वार हो जाय व नीज तैयारशुदा चीजों की कुछ कीमत ना रहे। इनके अलावा हकीम, डॉक्टर, वैद्य, मुलाजिमाने फौज व पुलिस वगैरह है जो आवाम की जान व  माल की हिफाजत करके अपने तई मुल्क के लिए मुफीद व कारआमद बनाते हैं।

देखने में आता है कि इन सब पेशों में जिस कदर आदमी लगे हैं ज्यादातर औसत दर्जे की जिंदगी बसर करने वाले है और इनमें थोड़े ही खुशहाल या अमीर है और दौलत ज्यादातर उन लोगों के कब्जे में रहती है जो बड़े-बड़े सौदागर है या दूसरों की कमाई हुई दौलत की हेराफेरी करते हैं या जिनके हाथों से दूसरों की दौलत या जायदाद का इंतजाम होता है और जिनको कानून ने यह मौका दिया है कि जिंसों के भाव में और दौलत व जायदाद के कब्जे में इच्छानुसार तब्दिलिया करा सकें।

क्रमशः

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**




**परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज

- रोजाना वाक्यात-

4 अक्टूबर 1932 -मंगलवार:-                       

सुबह सैर का सारा वक्त नए मकानात के लिए मौको की तलाश में खर्च हुआ। दया से काफी जगह मनचाही मिल गई। हम चाहते हैं कि हरचंद दयालबाग गरीबी की बस्ती है लेकिन खुली हवा और खुली रोशनी से कोई शख्स वंचित ना रखा जावे।

इसलिए यही कोशिश है कि जगह जगह खुली हवा आने के लिए खुले मैदान रखे जावे। आज 47 मकानों के लिए बुनियादें खोदनी शुरू हो गई।।                     

दो पहर के वक्त इंटरव्यू में दो सत्संगी सुपुत्रियों ने दयालबाग के लिए अपनी सेवाएं पेश की। इन दिनों यह फोर्थ ईयर क्लास में पढ़ती है। अगले साल ग्रेजुएट हो जाएगी। मैंने शुक्रिया अदा किया और कहा इंतिहान में पास होने के बाद दरख्वास्तें दें मुनासिब गौर किया जाएगा।

हम लोगों ने अपनी संगत के अंदर जागृति पैदा करने के लिए बेहद जो लगाया है । यह जानने के लिए कि हमें अपने कोशिश में किस कदर कामयाबी हासिल हुई है सबसे अच्छा तरीका यही है कि आयंदा नस्ल के दिलों और होसंलो का इमंतहान करें।

अब तक लड़कों ने तो अपनी खिदमात पेश की थी लेकिन आज पहला दिन है कि लड़कियों ने खिदमात पेश की। राधास्वामी दयाल इन बच्चों को सेवा करने की योग्यता इनायत फरमावें।

रियासत फरीदकोट से बारस सतसंगियों ने खत भेजा है जिसमें लिखा है कि" वह सख्त तकलीफ म़ें है। उनके यहां न कोई है न मजदूरी । अगर दयालबाग में कोई काम मिल जाए तो पेट भर जाए तो पेट भरने कि फिक्र छूट जाये।"

 अभी क्या है ? आयंदाक्षदेखिए यहां के लोगों के सर पर क्या गुजरती है।  जो कौमें खुद  अपनी फिक्र नही करती वह इसी तरह दुख पाया करती है। खत के जवाब में तहरीर किया गया है कि फिलहाल दो आदमी दयालबाग आकर यहां के कामकाज का हाल देंखे। अगर उन्हे यहाँ का  तरीका पसंद आवे और यहाँ के नियमों की पाबंदी कर सकें तो बकिया  लोगों को भी बुला सकते हैं । 

            

रात के सत्संग में मिलकर रहने और मिलकर सेवा करने के फायदो की निस्बत बातचीत हुई।

🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**



**परम गुरु हुजूर महाराज-

प्रेम पत्र -भाग-1-

कल से आगे -(2)

ऐसे जीवो का हिसाब अलग है , यानी उनके वास्ते जो कुछ होता है और उनसे जो कुछ की बनता है वह सब कुल मालिक राधास्वामी दयाल की मौज से होता है।  वह  तो सच्ची शरण में आकर बाल समान अपने सच्चे माता पिता राधास्वामी दयाल के आसरे और उनकी दया के भरोसे पर जीते हैं और सब अपने कारोबार और कुटुंब परिवार को उनकी मौज के आहरे रखते हैं, यानी जैसे वे रक्खे उसी में राजी रहते हैं । और दुनिया के दस्तूर के मुआफिक थोड़ा बहुत जतन भी दुनिया के कामों में करते हैं, पर उसमें राधास्वामी दयाल की मौज को अपनी चाह और जरूरत पर सबसे बढ़कर रखते हैं और कभी मौज से नाराज नहीं होते है।।            (3) ऐसे जीव पुरुषार्थ का कुछ भरोसा नहीं रखते , सिर्फ अपने मालिक के हुकुम और मौज को सब कामों में मानते हैं और समझते हैं कि जो कुछ उनके और उनके कुटुम्ब और परिवार के वास्ते होता है वह राधास्वामी दयाल माता औऋ पिता के हुकुम से होता है और मां बाप अपने बच्चों के वास्ते कभी कोई बात तकलीफ या नुकसान कि नहीं करेंगे ।इस वास्ते जब कोई बात जाहिर में नुकसान या तकलीफ की पैदा होवे, तो उसमें भी मौज और अपना असली नफा और फायदा समझते हैं , जैसे कि जब बालक को फोड़ा निकलता है तो माता बालक को अपनी गोद में लेकर डॉक्टर से चिरा दिलवाती है । उस वक्त जाहिर में यह काम दुखदाई मालूम होता है, पर फायदा उसका थोड़े अरसे में जाहिर होगा कि फोड़े का दर्द दूर हो जाएगा और जल्द उसको आराम होवेगा। क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
[25/05, 05:43] +91 97176 60451: **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज- रोजाना वाक्यात- 4 अक्टूबर 1932 -मंगलवार:-                       

सुबह सैर का सारा वक्त नए मकानात के लिए मौको की तलाश में खर्च हुआ। दया से काफी जगह मनचाही मिल गई। हम चाहते हैं कि हरचंद दयालबाग गरीबी की बस्ती है लेकिन खुली हवा और खुली रोशनी से कोई शख्स वंचित ना रखा जावे। इसलिए यही कोशिश है कि जगह जगह खुली हवा आने के लिए खुले मैदान रखे जावे। आज 47 मकानों के लिए बुनियादें खोदनी शुरू हो गई।। 

                   सेह पहर के वक्त इंटरव्यू में दो सत्संगी सुपुत्रियों ने दयालबाग के लिए अपनी सेवाएं पेश की। इन दिनों यह फोर्थ ईयर क्लास में पढ़ती है। अगले साल ग्रेजुएट हो जाएगी। मैंने शुक्रिया अदा किया और कहा इंतिहान में पास होने के बाद दरख्वास्तें दें मुनासिब गौर किया जाएगा। हम लोगों ने अपनी संगत के अंदर जागृति पैदा करने के लिए बेहद जो लगाया है । यह जानने के लिए कि हमें अपने कोशिश में किस कदर कामयाबी हासिल हुई है सबसे अच्छा तरीका यही है कि आयंदा नस्ल के दिलों और होसंलो का इमंतहान करें। अब तक लड़कों ने तो अपनी खिदमात पेश की थी लेकिन आज पहला दिन है कि लड़कियों ने खिदमात पेश की। राधास्वामी दयाल इन बच्चों को सेवा करने की योग्यता इनायत फरमावें। रियासत फरीदकोट से बारस सतसंगियों ने खत भेजा है जिसमें लिखा है कि" वह सख्त तकलीफ म़ें है। उनके यहां न कोई है न मजदूरी । अगर दयालबाग में कोई काम मिल जाए तो पेट भर जाए तो पेट भरने कि फिक्र छूट जाये।"  अभी क्या है ? आयंदाक्षदेखिए यहां के लोगों के सर पर क्या गुजरती है।  जो कौमें खुद  अपनी फिक्र नही करती वह इसी तरह दुख पाया करती है। खत के जवाब में तहरीर किया गया है कि फिलहाल दो आदमी दयालबाग आकर यहां के कामकाज का हाल देंखे। अगर उन्हे यहाँ का  तरीका पसंद आवे और यहाँ के नियमों की पाबंदी कर सकें तो बकिया  लोगों को भी बुला सकते हैं ।                 रात के सत्संग में मिलकर रहने और मिलकर सेवा करने के फायदो की निस्बत बातचीत हुई।🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**
[25/05, 05:43] +91 97176 60451: **परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज -सत्संग के उपदेश- भाग 2 -कल से आगे :-         यह लोग भी एक मानी में दौलत पैदा करने वाले ही हैं क्योंकि बिला इनकी सहायता के पहली किस्म के आदमी दौलत पैदा करने में लाचार रहते हैं। इन दो के अलावा एक तीसरी किस्म के लोग हैं, जिनकी मौजूदगी हर मुल्क के अंदर निहायत है लाजिमी है और जिनसे दौलत पैदा करने वालों को बहुत कुछ फायदा पहुंचता है। ये तिजारतपेशा है, जो एक जगह की चीजें दूसरी जगह भेज कर जिसं पैदा करने वालों के लिए बाजार या मांग पैदा करते हैं। अगर तिजारतपेशा न हो तो कच्ची चीजें पैदा करने वालों के लिए जीना निहायत दुश्वार हो जाय व नीज तैयारशुदा चीजों की कुछ कीमत ना रहे। इनके अलावा हकीम, डॉक्टर, वैद्य, मुलाजिमाने फौज व पुलिस वगैरह है जो आवाम की जान व  माल की हिफाजत करके अपने तई मुल्क के लिए मुफीद व कारआमद बनाते हैं। देखने में आता है कि इन सब पेशों में जिस कदर आदमी लगे हैं ज्यादातर औसत दर्जे की जिंदगी बसर करने वाले है और इनमें थोड़े ही खुशहाल या अमीर है और दौलत ज्यादातर उन लोगों के कब्जे में रहती है जो बड़े-बड़े सौदागर है या दूसरों की कमाई हुई दौलत की हेराफेरी करते हैं या जिनके हाथों से दूसरों की दौलत या जायदाद का इंतजाम होता है और जिनको कानून ने यह मौका दिया है कि जिंसों के भाव में और दौलत व जायदाद के कब्जे में इच्छानुसार तब्दिलिया करा सकें।

क्रमशः🙏🏻 राधास्वामी🙏🏻**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। 

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