Saturday, May 23, 2020

काव्यात्मक अभिव्यक्ति प्रेम विरह प्रीति की





🌹🌹दरस आज दीजिए मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।     
 मेहर अब कीजिए मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।

सरन में लीजिए मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।

मनुआँ तड़प रहा मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।
दरस को तरस रहा मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।
दुखी की अरज सुनो मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।
दरस दे दुख हरो मेरे राधास्वामी प्यारे हो।। 

 क्यों ऐती देर करी मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।    घर कुछ नाहि कमी मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।     दुक्ख सहा न जाए मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।

मेहर बिन नाहि उपाय मेरे राधास्वामी प्यारे हो।। मेहर चित धारिये मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।       पन न बिसारिये  मेरे राधास्वामी प्यारे हो।।🌹🌹*





*हम होते ही कौन हैं ,
मालिक के काम में दखलअंदाज़ी करने वाले ....*
*जो कुछ हो रहा है
 , उस मालिक की मर्ज़ी से ही तो हो रहा है ..*
*इसलिए
कभी जीवन में दुःख भी आ जायें तो चिन्ता नहीं करनी चाहिये ..*

*क्योंकि उसकी
 ☝🏻गत वो ही जाने , न जाने कौन से कर्म कटवाने होंगे , कौनसा लेनदेन चुकता करना होगा , हमें क्या खबर ?*
*इसलिये मालिक की रज़ा में राज़ी रहने में ही समझदारी है ..*

*मालिक के भाणे में रहना सीखें हम लोग ...और बाकी सब कुछ उस परमपिता परमात्मा पर छोड़ दें , विश्वास रखें बस ... अपने विश्वास को डगमगाने बिल्कुल ना दें ...

 फिर देखें कि कैसे हमें मालिक इन दुःखों को सहन करने शक्ति हमें बख्शते हैं ...*


*सहनशक्ति तो क्या मालिक इन दुःखों को कैसे पहाड़ से राई में तब्दील कर देते हैं , हमें पता तक नहीं चलता ...*


*बस जरूरत है अटूट विश्वास और सच्ची सेवा की , जिसकी ओर तो हम लोगों का बहुत कम ध्यान जाता है ....*


*इसलिये हम लोग ये प्रण करें कि उठते-बैठते , सोते-जागते ,चलते-फिरते , खाते-पीते , काम-काज करते , कभी-भी , कहीं-भी अपनी असली कमाई यानी सिमरन-भजन की ओर ध्यान दें ..
..ना कि बाकी की फालतू और बेमतलब की चीज़ों की ओर .....*


*फिर देखें कि सच्चा सुख क्या होता है....*


गुरू प्यारी साध संगत जी सभी सतसंगी भाई बहनों और दोस्तों को हाथ जोड़ कर प्यार भरी राधा सवामी जी.





#विरह


गुरू से प्रेम करने का सबसे बड़ा साधन है ''विरह'' जब गुरू की याद में शिष्य आँसू बहाता है तो वह आँसू गंगा से भी ज्यादा पवित्र हो जाती है.

विरह गुरू की प्रसन्नता को पाने का सबसे सहज और पावन तरीका है 'विरह' प्रेम को प्रकट करती है और मजबूत भी बनाती है.

विरह की तड़प ही प्रेमिका को प्रेम की राह तय करके प्रीतम की मंजिल तक पहुँचाती है.

जिस हृदय में ''विरह'' पैदा नहीं होती,वह तो शमशान की तरह मनहूस है.

ऐसा भी हो सकता है गुरू के दीदार में उम्मीद से कहीं ज्यादा समय लग जाए और विरह अग्नि में तन जलकर राख भी हो सकता है.

लेकिन जो गुरू के सच्चे आशिक होते हैं बो हार नहीं मानते दिल में मुर्शिद के दीदार की आशा,उम्मीद और उमंग सदा कायम रखते हैं.

                           *शुभ संध्या*🙏🏻


राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी
।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। 

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