Thursday, May 14, 2020

14/05 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया पाठ - बचन



राधास्वामी!!

 14-05- 2020 -                                                                         
आज शाम के सत्संग में पढ़े गए पाठ-                                                                             
(1) तुम सोचो अपने मन में । या जग में दुक्ख धनेरा।।टेक।। (प्रेमबानी-3- शब्द -10, पृष्ठ संख्या 255)                                                   
 (2) जा मंदिर में दासता नहीं दीप उजियास।  प्रेम भक्ति और सील का तहाँ न जानो  बास।। दास बने कोई राम का महापुरुष कोई ख्वास। दासन के जो दास हैं हम उन चरनन दास।।( प्रेमबिलास- शब्द -112 -पृष्ठ संख्या 169)                                             

  ( 3 )सत्संग के उपदेश- भाग तीसरा- कल से आगे।।           

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻



राधास्वामी!!   
                                

14-05 -2020-                                       

आज शाम के सत्संग पढ़ा गया बचन- कल से आगे-( 137)   

                             
 सवाल- जबकि ऐसे काम करने के लिए कहा जाता है जिनसे हमको मालिक की याद आवे लेकिन अगर किसी को बुरे काम करने से मालिक की याद आती है तो क्या उसे बुरे काम करने की इजाजत है?                                         

जवाब - बुरे काम करने से मालिक की याद नहीं आती बल्कि भूलती है अलबत्ता जो सज्जन पुरुष है अगर उनसे कभी भूल से कोई बुरा काम बन पड़ता है तो होश आने पर वे सच्चे दिल से झुरते व पछताते हैं और मालिक की याद करते हैं । मगर यह याद बुरा काम करने से पैदा नहीं हुई  , यह उनके अंदर सात्विक वृति जग कर पछतावा प्रकट होने से जाहिर हुई है।

चुनांचे हर शख्स के लिए इजाजत है कि अपनी कसरें व कसूर याद करके जब तब झुरे व पछतावे। बाज लोग ऐसे भी हैं कि जब उन्हें बुरे अंगों में बरतने पर सजा मिलने को होती है तो मालिक की याद करते हैं । यह याद ज्यादातर झूँठी और खुदगर्जी की होती है ।

सच्ची व असली याद वह है जो प्रेमबस हो उससे उतर कर वह याद कारआमद है जो अपनी गलती दिखलाई देने पर पछतावा आकर पैदा हो ।।   
                                    
🙏🏻राधास्वामी🙏🏻           

                    

  सत्सं ग के उपदेश- भाग तीसरा।


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