Wednesday, May 20, 2020

2005 को शाम के सत्संग में पढ़ा गया पाठ - बचन




**राधास्वामी!!

20-05-2020-

 आज शाम के सतसंग में पढे गये पाठ- 
                            

   (1) भोग बासना मन में धरी। मोसे सतसँग किया न जाय।। (प्रेमबानी-3- शब्द-3,पृ.सं. 260)                                                           
(2) वृक्षन से पाती झडी पडी धूल में आय। जोबन था सब झड गया दिन दिन सूखी जाय।। नाम गुरु का लेत है महिमा गुरु की गायँ। सतगुरु सँग की बात सुन पर ढीले पड जायँ।। (प्रेमबिलास-शब्द-116,पृ.सं. 173)                                                   
(3)  सतसंग के उपदेश-भाग तीसरा।     

 🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**

**राधास्वामी!!

 20-05-2020-

आज शाय के सतसंग में पढा गया बचन-

कल से आगे-( 142)

सत्संगी का सबसे बड़ा दुश्मन खुद उसका मन है। यह मन ऊपर से दीनता भी करता है और प्रेम भी दिखलाता है लेकिन अगर इसके छिलके उतारकर अंदर का हाल देखा जाए तो मालूम होगा कि इसके अंदर अहंकार और दुनिया के सामान व जीवों का मोह कूट कूट कर भरा है ।अहंकार में जिंदा रहने और सुख से जिंदगी बसर करने की चाह भी शामिल है। जब तक किसी मन के अंदर से यह मोह का जहर ना निकल जाए उसकी भक्ति और प्रीति का कुछ ऐतबार नहीं । इस मोह ही के सबब से बहुत से सत्संगी अंतरी तजरुबात के रस से महरुम रहते हैं।  वैसे दुनिया में ना कोई चीज अच्छी है ना बुरी , कोई रिश्तेदार या दूसरा इंसान न अच्छा है ना बुरा, मगर यह मन अपने नफे की कसौटी पर परख कर चीजों व इंसानों को अच्छा व बुरा तशखीस करके(जान कर)  उनके लिए रगबत व नफरत कायम कर लेता है और एक मर्तबा गहरा बंधन कायमम हो जाने पर मुआमला उसके हाथ से निकल जाता है। दुनिया में ऐसे लोग मौजूद हैं जिन्होंने अपना सब धन व माल खैरात कर दिया  लेकिन खैरात किये हुए कपड़ों का नामुनासिब इस्तेमाल होते देखकर उनके मन में तकलीफ महसूस की। इससे मन की लाचारी का हाल समझ में आ सकता है । वाजह हो कि बिला सच्चे सद्गुरु के चरणों में हाजिरी दिए और उनसे मुनासिब सहायता हासिल किए मन की यह कसर हर्गिज दूर नही हो सकती और बिला इस कसर के दूर हुए अंतर में सुरत की चाल का जारी होना मुश्किल है ।इसलिए फरमाया है:- अरे मन रंग जा सतगुरु प्रीत। होय मत और किसी का मीत ।

🙏🏻राधास्वामी 🙏🏻             

सत्संग के उपदेश भाग तीसरा।।**

राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी
राधास्वामी दयाल की दया राधास्वामी सहाय राधास्वामी।।।।।।।।।।।
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