Sunday, May 10, 2020

कोरोना काल की कविताएं




ना कोई इलाज, ना टीका ना इसकी कोई दवाई है
"ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है"

काम कर रहे हैं घर का मालिक मालकिन
मुफ्त में पगार ले रही काम वाली बाई है
"ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है"

काम धंधे का है मीटर डाउन,
फुल ड्यूटी है पाजामा और गाउन
अलमारी में बंद पड़े, हंस रहे पेंट शर्ट और टाई है
"ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है"

रूक गये सारे सैर सपाटे, बंद हो गई सब विदेश यात्राएं
अब तो चारों धाम, घर की लुगाईं है
"ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है"

बंद हो गए सारे होटल मयखाने, ना कहीं चाट ना कहीं मिठाई है
घर की दाल रोटी में रहो खुश, ये ही अब सबकी रसमलाई है
"ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है"

हाथों को धोएं बार बार, मुंह पर लगाएं मास्क
घर मौहल्ला शहर रखें साफ़, इसमें सबकी भलाई है
"ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है"

घर में रहें सुरक्षित और ऊपरवाले से करें ये प्रार्थना
क्योंकि जब जब मुसिबत आई हैं, उसने ही रहमत बरसाईं है
"ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है"।



💫 *अच्छे लोगों की इज्जत*
        *कभी कम नहीं होती*

     *सोने के सौ टुकड़े करो,*
            *फिर भी कीमत*
            *कम नहीं होती*।

        *भूल होना "प्रकृत्ति" है,*
       *मान लेना "संस्कृति" है,*
*और उसे सुधार लेना "प्रगति" है.*
     🌹 *शुभ दिन*🌹
   💐 *शुभ प्रभात* 💐




*तुझे क्या कहूं*
*बीमारी कहूं कि बहार कहूं*
*पीड़ा कहूं कि त्यौहार कहूं*
*संतुलन कहूं कि संहार कहूं*
*कहो तुझे क्या कहूं*
.
*मानव जो उदंड था*
*पाप का प्रचंड था*
*सामर्थ्य का घमंड था*
*मानवता खंड-खंड था*
.
*नदियां सारी त्रस्त थी*
*सड़के सारी व्यस्त थी*
*जंगलों में आग थी*
*हवाओं में राख थी*
*कोलाहल का स्वर था*
*खतरे में जीवो का घर था*
*चांद पर पहरे थे*
*वसुधा के दर्द बड़े गहरे थे*
*फिर अचानक तू आई*
*मृत्यु का खौफ लाई*
*मानवों को डराई*
*विज्ञान भी घबराई*
.
*लोग यूं मरने लगे*
*खुद को घरों में भरने लगे*
*इच्छाओं को सीमित करने लगे*
*प्रकृति से डरने लगे*
.
*अब लोग सारे बंद है*
*नदिया स्वच्छंद है*
*हवाओं में सुगंध है*
*वनों में आनंद है*
.
*जीव सारे मस्त हैं*
*वातावरण भी स्वस्थ है*
*पक्षी स्वरों में गा रहे*
*तितलियां इतरा रही*
.
*अब तुम ही कहो तुझे क्या कहूं*
*बीमारी कहूं कि बहार कहूं*
.
*पीड़ा कहूं कि त्यौहार कहूं*
*संतुलन कहूं कि संहार कहूं*
*कहो तुझे क्या कहूं*
.
🙏🏼🌹





माँ की तरह हम पर प्यार लुटाती है प्रकृति,
बिना मांगे हमें कितना कुछ देती जाती है प्रकृति…।
दिन में सूरज की रोशनी देती है प्रकृति,
रात में शीतल चांदनी लाती है प्रकृति…।
भूमिगत जल से हमारी प्यास बुझाती है प्रकृति,
और बारिश में रिमझिम जल बरसाती है प्रकृति…।
दिन-रात प्राणदायिनी हवा चलाती है प्रकृति,
मुफ्त में हमें ढेरों साधन उपलब्ध कराती है प्रकृति…।
कहीं रेगिस्तान तो कहीं बर्फ बिछा रखे हैं इसने,
कहीं पर्वत खड़े किए तो कहीं नदी बहा रखे हैं इसने…।
कहीं गहरे खाई खोदे तो कहीं बंजर जमीन बना रखे हैं इसने,
कहीं फूलों की वादियाँ बसाई,
तो कहीं हरियाली की चादर बिछाई है इसने…।
*मानव इसका उपयोग करे इससे इसे कोई ऐतराज नहीं,*
*लेकिन मानव इसकी सीमाओं को तोड़े यह इसको मंजूर नहीं…।*
*जब-जब मानव उद्दंडता करता है, तब-तब चेतावनी देती है यह,*
*जब-जब इसकी चेतावनी नजरअंदाज की जाती है,*
*तब-तब सजा देती है यह…।*
*विकास की दौड़ में प्रकृति को नजरअंदाज करना बुद्धिमानी नहीं है,*
*क्योंकि सवाल है हमारे भविष्य का,*
*कोई खेल-कहानी नहीं है…।*
*मानव प्रकृति के अनुसार चले*
*यही मानव के हित में है,*
*प्रकृति का सम्मान करें सब,*
 *यही हमारे हित में है।*🙏



मधुशाला
मंदिर-मस्जिद बंद कराकर ,
लटका विद्यालय पर ताला !
सरकारों को खूब भा रही ,
धन बरसाती मधुशाला !! 😐

     डिस्टेंसिंग की ऐसी तैसी ,
     लाकडाउन को धो डाला !
     भक्तों के व्याकुल हृदयों पर
     रस बरसाती मधुशाला ।।😐

बन्द रहेंगे मंदिर मस्ज़िद ,
खुली रहेंगी मधुशाला।
ये कैसे महामारी है ,
सोच रहा ऊपरवाला।।😐

नशा मुक्त हो जाता भारत
तो कैसे चलती मधुशाला
व्यवसाय रुका है उन गरीबों का,
 जो नोट की जपते थे माला।।😐

नहीं मिल रहा राशन पानी,
मगर मिलेगी मधुशाला।
भाड़ में जाए जनता बेचारी,
दर्द में है पीने वाला।।😐

आपत्ति नहीं जताओ कोई,
खुलने दो ये मधुशाला।
कोराना मुक्त होगा भारत,
जब ठेके पर चलेंगे त्रिशूल और भाला।।😐

मेरी विनती है तुम सब से,
गर जाए कोई मधुशाला।
वापिस ना आने दो उसको,
तुम बंद करो घर का ताला।।😐

दुनिया है बरबाद,
और इन्हे चाहिए मधुशाला।
घर में ही रह लो पागल लोगो,
ना बचा पाएगा वो रखवाला।।😐

मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं,
मगर खुलेंगी मधुशाला।
ये कैसे महामारी है,
सोच रहा ऊपर वाला।।😐




How to be Happy
Example...

Everyone is a Traveller

Most People wait for The Destination

A few Enjoy The Journey.

*GOOD MORNING*🙏

🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹


*अच्छे लोगों की भगवान परीक्षा बहुत लेता है, परन्तु साथ नहीं छोडता,*
                      *और*
*बुरे लोगों को भगवान बहुत कुछ देता है, परन्तु साथ नहीं देता...*

*मुख्तसर सी जिंदगी के अजीब अफ़साने हैं...यहां तीर भी चलाने हैं और परिंदे भी बचाने हैं...!!!*

*शुभ प्रभात ...🍁🍁*

!!!   श्री राधे राधे    !!!




पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है…
आजकल हवा के लिए रोशनदान कौन रखता है..

अपने घर की कलह से फुरसत मिले तो सुने…
आजकल पराई दीवार पर कान कौन रखता है..

हर चीज मुहैया है मेरे शहर में किश्तों पर..
आज कल हसरतों पर लगाम कौन रखता है..

बहलाकर छोड़ आते है वृद्धाश्रम में मां बाप को…
आज कल घर में पुराना सामान कौन रखता है…

सबको दिखता है दूसरों में इक बेईमान इंसान…
खुद के भीतर मगर अब ईमान कौन रखता है…

फिजूल बातों पे सभी करते हैं वाह-वाह के कमेंट्स..
अच्छी बातों के लिये अब जुबान कौन रखता है...!!





*ऐ हवाओ,,*
*मेरा एक छोटा सा काम कर दो....*
*ये मेरा पैगाम*
*कान्हा के नाम कर दो....*
*वो रहता है*
*मुझसे बहुत दूर वृंदावन में.....*
*जाकर पहले उसे*
*मेरा एक प्यारा सा सलाम कर दो.....*
*कहना कि बहुत*
*याद आती है उसे उसकी दीवानी.....*
*फिर मेरे दिल*
*की हर बात को बयाँ कर दो.....*
*कहना उसे ये*
*जिंदगी उसके नाम कर दी.....*
*इतना कहकर उस*
*पर मेरे प्यार की बरसात कर दो.....*
*बताना "ए" हवाओं*
*कैसा दिखता है मेरे "कान्हा"का चेहरा....*
*तुम आसमान में*
*उसके चेहरे को आफताब कर दो.....*
*कहना उसे ये*
*दीवानी हर पल उसे ही चाहेगी.....*
*"ए" हवाओं आज*
 *एक छोटा सा मुझ पर एहसान कर दो....*


[10/05, 09:08] +91 98683 80087:

*  जय श्री कृष्णा  *

जिन्दगी की दौड़ में,
तजुर्बा कच्चा ही रह गया...।
हम सीख न पाये 'फरेब'
और दिल बच्चा ही रह गया...।
बचपन में जहां चाहा हँस लेते थे,
जहां चाहा रो लेते थे...।
पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए
और आंसुओ को तन्हाई..।
हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से...
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में ..।
चलो मुस्कुराने की वजह ढुंढते हैं...
तुम हमें ढुंढो...हम तुम्हे ढुंढते हैं .....!!

 Radhey Radhey

No comments:

Post a Comment

पूज्य हुज़ूर का निर्देश

  कल 8-1-22 की शाम को खेतों के बाद जब Gracious Huzur, गाड़ी में बैठ कर performance statistics देख रहे थे, तो फरमाया कि maximum attendance सा...