Monday, May 4, 2020

कौरवों का जन्म



#१००_कौरवों_का_जन्म
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अनेक लोगों का प्रश्न होता है कि १०० कौरवों का जन्म कैसे हुआ होगा? साधारण तरीके से तो १०० वर्ष लग ही जाते हैं। और उस समय व्यक्ति की आयु बहुत अधिक नहीं हुआ करती थी। भगवान श्रीकृष्ण भी इस धरा पर १२५ वर्ष ही रहे थे। तो १०० कौरव कैसे प्रकट हुए? इसी का उत्तर आज की पोस्ट में दे रहा हूँ।

महाभारत के आदिपर्व के ११४वें अध्याय (सम्भवपर्व) के तृतीय श्लोक में जन्मेजय वैशम्पायन जी से प्रश्न करते हैं।
जन्मेजय उवाच-
कथं पुत्रशतं जज्ञे गान्धार्यां द्विजसत्तम।
कियता चैव कालेन तेषामायुश्च किं परम्।।
जन्मेजय ने कहा-
हे द्विजश्रेष्ठ! गांधारी से सौ पुत्र किस प्रकार और कितने समय में उत्पन्न हुए और उन सबकी पूरी आयु कितनी थी?

इसके उत्तर में वैशम्पायन जी बताते हैं कि गांधारी ने वेदव्यास जी की बहुत सेवा की थी और वेदव्यास जी ने प्रसन्न होके उसे १०० पुत्रों का आशीर्वाद दिया था। परन्तु २ साल गर्भधारण करने के बाद भी गांधारी को कोई संतान नहीं हुई थी और जब उसे पता चला कि कुन्ती ने बालक को जन्म दिया है तो उसने अपने उधर पर प्रहार किया और स्वयं ही अपना गर्भपात कर लिया। गांधारी के गर्भ से लोहे के समान मांस का पिंड निकला। वेदव्यास श्रीकृष्ण द्वैपायन जी यह सुनकर शीघ्रता से आये। उन्होंने उस मांस के पिंड का निरीक्षण करने के बाद उसे एक कुंड में ठंडा कर विशेष दवाओं से सिंचित कर सुरक्षित किया। बाद में उसके १०० भाग किये और १०० घी के भरे कुंडों में इन्हें डाल दिया और २ वर्षों तक गांधारी को इन कुंडों को सुरक्षित स्थानों पर रखने के लिये कहा।

२ वर्षों बाद जब पहले कुंड का ढक्कन खोला गया तो एक पुत्र (दुर्योधन) पैदा हुआ। ऐसे ही क्रमानुसार १०० ढक्कन खोले गये और १०० कौरवों का जन्म हुआ। यह बात आज से १५-२० साल पहले सुनते थे कईं लोगों को हंसी आती थी तो कईंयों को आश्चर्य होता था। परन्तु आज के समय में स्टेमसेल्स के द्वारा शरीर के अंगों का निर्माण किया जा रहा है। भारत के एक डॉक्टर बालकृष्ण गणपत मातापुरकर को किसी भी अंग से बीजकोशिका निकालकर अंग को पुनः उत्पादित करने का पेटेंट मिल चुका है। १९९६ में जब उन्होंने अमेरिका के पेटेंट के लिये आवेदन किया, तो तभी अमेरिका में स्टेमसेल पर काम शुरू हो गया। उनकी शोध के बाद ही स्टेमसेल शब्द का चलन शुरू हुआ।

मानव क्लोनिंग एक नए हमशक्ल को पैदा करने की कोशिश है, मगर यह तकनीक शरीर के अंगों को बनाने के लिये है। हमशक्ल पैदा करना प्रकृति विरोधी होने के साथ अनैतिक भी है। परन्तु यह तकनीक जीवन को बेहतर बनाने की है। और मातापुरकर जी भी अपनी इस उपलब्धि का श्रेय महाभारत को ही देते हैं। उन्होंने कहा कि जब मैंने महाभारत में १०० कौरवों के जन्म के बारे में पढ़ा तो मैं हैरान रह गया कि उस समय महर्षि व्यास जी ने स्टेमसेल्स के जरिये १०० कौरव पैदा किये थे।

आईये मिलके संकल्प करें कि अपनी महान संस्कृति को विश्व के कोने कौन में फैलायेंगे। धर्म और संस्कृति की रक्षा करके अपने पुर्वजों का ऋण उतारने का प्रयास करेंगे।

© सुमित कृष्ण

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