Thursday, October 8, 2020

दयालबाग़ सतसंग शाम 08/ 10

 **राधास्वामी!! 08-10-2020- 

आज शाम सतसंग में पढे गये पाठ:-  

                               

  (1) बडा जुल्म है मेरे यार यह। कि तू जाय सैर को बाग के।। तू कँवल से आप ही कम नही। हिये में उलट के चमन यें आ।।-( गम इंतजार का सह रहा। तेरे दर्शनों को तडप रहा।। जरा इग उठा के करो दया।। छिन एक जान मेरे तन में आ।।) (प्रेमबानी-3-गजल-3-391-392)  

                                   

   (2) सतगुरु परम दयाल कही यह अमृत बानी। सुश ल़ बचन हमार कहूँ मैं तोहि बुझानी।।-(प्रीतम स्वामी पिता यही मन नाम धराने। तन या मन की प्रीति रहें जीव सदा भुलाने ) (प्रेमबिलास-शब्द-68(उत्तर) ,पृ.सं.91)                                                           

  (3) यथार्थ प्रकाश-भाग दूसरा-कल से आगे।।                      

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻**


**राधास्वामी!! 08-10-2020-

 आज शाम सत्संग में पढ़ा गया बचन- 

कल से आगे -

                                             

(8) इसमें संदेह नहीं कि संसार में सैकड़ों ऐसे मनुष्य हुए जिन्हें कोई आध्यात्मिक विशेषता प्राप्त न थी और जिन्होंने महात्माओं का अनुकरण कर अर्थात उनके से बाहरी साज सज कर अपनी संसारी वासनाएँ पूरी करने के लिए साधारण जनता को भारी हानि पहुंचाई। 

और इस समय भी इस प्रकार के बहुत से लोग हो सकते हैं जिन्हें परमार्थी लाभ पहुंचाने की सामर्थ्य कुछ भी ना हो, पर जिनमें श्रद्धा लाकर के सहस्त्रों सीधे-साधे लोग अपने रुपए पैसे और अमूल्य समय की हानि करते हों। किंतु  इन धोखा देने वालों को के कारण या उनका दृष्टांत ध्यान में रखकर सच्चे साध, संत और महात्मा में दोष देखना और सच्चे जिज्ञासुओं को भला- बुरा कहना किसी दशा में उचित नहीं हो सकता।   

                                                    

🙏🏻राधास्वामी🙏🏻 

यथार्थ प्रकाश- भाग 2

- परम गुरु हुजूर साहबजी महाराज!**


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