Sunday, October 18, 2020

गणित

 *ईश्वर का गणित*


*एक बार दो आदमी एक मंदिर के पास बैठे गपशप कर रहे थे । वहां अंधेरा छा रहा था और बादल मंडरा रहे थे*


*थोड़ी देर में वहां एक आदमी आया और वो भी उन दोनों के साथ बैठकर गपशप करने लगा ।*


*कुछ देर बाद वो आदमी बोला उसे बहुत भूख लग रही है, उन दोनों को भी भूख लगने लगी थी ।*


*पहला आदमी बोला मेरे पास 3 रोटी हैं, दूसरा बोला मेरे पास 5 रोटी हैं, हम तीनों मिल बांट कर खा लेते हैं।*


*उसके बाद सवाल आया कि 8 (3+5) रोटी तीन आदमियों में कैसे बांट पाएंगे ??*


*पहले आदमी ने राय दी कि ऐसा करते हैं कि हर रोटी के 3 टुकडे करते हैं, अर्थात 8 रोटी के 24 टुकडे (8 X 3 = 24) हो जाएंगे और हम तीनों में 8 - 8 टुकड़े बराबर बराबर बंट जाएंगे।*


    *तीनों को उसकी राय अच्छी लगी और 8 रोटी के 24 टुकडे करके प्रत्येक ने 8 - 8 रोटी के टुकड़े खाकर भूख शांत की और फिर बारिश के कारण मंदिर के प्रांगण में ही सो गए ।*


*सुबह उठने पर तीसरे आदमी ने उनके उपकार के लिए दोनों को धन्यवाद दिया और प्रेम से 8 रोटी के टुकड़ों के बदले दोनों को उपहार स्वरूप 8 सोने की गिन्नी देकर अपने घर की ओर चला गया ।*


*उसके जाने के बाद दूसरे आदमी ने  पहले आदमी से कहा हम दोनों 4 - 4 गिन्नी बांट लेते हैं ।*


*पहला आदमी बोला नहीं मेरी 3 रोटी थी और तुम्हारी  5 रोटी थी,अतः मैं 3 गिन्नी लुंगा, तुम्हें 5 गिन्नी रखनी होगी ।इस पर दोनों में बहस होने लगी ।*


*इसके बाद वे दोनों समाधान के लिये मंदिर के पुजारी के पास गए और उन्हें  समस्या बताई तथा  समाधान के लिए प्रार्थना की ।*


*पुजारी भी असमंजस में पड़ गया, दोनों  दूसरे को ज्यादा  देने के लिये लड़ रहे है ।  पुजारी ने कहा तुम लोग ये 8 गिन्नियाँ मेरे पास छोड़ जाओ और मुझे सोचने का समय दो, मैं कल सवेरे जवाब दे पाऊंगा ।*


*पुजारी को दिल में वैसे तो दूसरे आदमी की 3-5 की बात ठीक लग रही थी पर फिर भी वह गहराई से सोचते-सोचते गहरी नींद में सो गया।*


*कुछ देर बाद उसके सपने में भगवान प्रगट हुए तो पुजारी ने सब बातें बताई और न्यायिक मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना की और बताया कि मेरे ख्याल से 3 - 5 बंटवारा ही उचित लगता है ।*


*भगवान मुस्कुरा कर बोले- नहीं, पहले आदमी को 1 गिन्नी मिलनी चाहिए और दूसरे आदमी को 7 गिन्नी मिलनी चाहिए ।*

*भगवान की बात सुनकर पुजारी अचंभित हो गया और अचरज से पूछा-*


*प्रभु, ऐसा कैसे  ?*


*भगवन फिर एक बार मुस्कुराए और बोले :*


*इसमें कोई शंका नहीं कि पहले आदमी ने अपनी 3 रोटी के 9 टुकड़े किये परंतु उन 9 में से उसने सिर्फ 1 बांटा और 8 टुकड़े स्वयं खाया अर्थात उसका त्याग सिर्फ 1 रोटी के टुकड़े का था इसलिए वो सिर्फ 1 गिन्नी का ही हकदार है ।*


    *दूसरे आदमी ने अपनी 5 रोटी के 15 टुकड़े किये जिसमें से 8 टुकड़े उसने स्वयं खाऐ और 7 टुकड़े उसने बांट दिए । इसलिए वो न्यायानुसार 7 गिन्नी का हकदार है .. ये ही मेरा गणित है और ये ही मेरा न्याय है  !*


*ईश्वर की न्याय का सटिक विश्लेषण सुनकर पुजारी  नतमस्तक हो गया।*


इस कहानी का सार ये ही है कि हमारी वस्तुस्थिति को देखने की, समझने की दृष्टि और ईश्वर का दृष्टिकोण एकदम भिन्न है । हम ईश्वरीय न्यायलीला को जानने समझने में सर्वथा अज्ञानी हैं ।

*_यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम कितने धन संपन्न है, महत्वपूर्ण यहीं है कि हमारे सेवाभाव कार्य में त्याग कितना है।_*

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